गेहूं की खुदरा कीमतों में एक हफ्ते में आएगी नरमी, थोक भाव में गिरावट शुरू 

मुंबई- खुले बाजार में थोक ग्राहकों को गेहूं बेचने से इसकी कीमतों में गिरावट शुरू हो गई है। उम्मीद है कि एक हफ्ते में खुदरा कीमतों में भी गिरावट आनी शुरू हो जाएगी। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अशोक मीणा ने बृहस्पतिवार को कहा कि ई-नीलामी के पहले तीन दौर में आटा मिलों जैसे थोक ग्राहकों को 18.05 लाख टन गेहूं बेचा गया है। इसमें से 11 लाख टन बोलीदाताओं ने पहले ही उठा लिया है। 

एफसीआई को खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत थोक ग्राहकों को 15 मार्च तक साप्ताहिक ई-नीलामी के जरिए कुल 45 लाख टन गेहूं बेचने का अधिकार है। अगली ई-नीलामी दो मार्च को होगी जिसमें 11 लाख टन से अधिक गेहूं बेचा जाएगा। अब तक लगभग 11 लाख टन गेहूं का उठाव हो चुका है। अब ज्यादातर मंडियों में गेहूं की कीमतें 2,200-2,300 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास है। उम्मीद है कि पूरे देश में कीमतें सामान्य हो जाएंगी। 

कुल 1,200 से अधिक खरीदारों ने भाग लिया है। पहले दौर में गेहूं की कीमतें 2,474 रुपये प्रति क्विंटल थी जो अब 2,172 रुपये हो गई है। एक अप्रैल को एफसीआई के पास गेहूं का स्टॉक 113 लाख टन होगा। उन्होंने कहा कि अगर ओएमएसएस के तहत पूरा गेहूं बेच दिया जाता है तो भी अंतिम स्टॉक 93 लाख टन रहेगा, जो 75 लाख टन के बफर मानदंड से अधिक है। 

अशोक मीणा ने कहा कि गेहूं की फसल अच्छी स्थिति में है और मार्च से शुरू होने वाले विपणन वर्ष 2023-24 में सरकार की खरीद सामान्य 300-400 लाख टन होगी। गेहूं की बुआई का रकबा पिछले साल से ज्यादा है और फसल की मौजूदा स्थिति काफी अच्छी है। मीणा ने कहा कि तापमान में वृद्धि का कोई प्रभाव गेहूं पर नहीं पड़ेगा। 

टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने और सफेद चावल के विदेशी शिपमेंट पर 20 फीसदी कर कटौती करने की भारत की कोई योजना नहीं है, क्योंकि कीमतों को अभी भी कम करना है। प्रमुख उत्पादक राज्यों में औसत से कम वर्षा के कारण भारत ने सितंबर 2022 में टूटे चावल के विदेशी शिपमेंट पर प्रतिबंध के साथ 20 फीसदी शुल्क लगा दिया था। 

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