अदाणी के एफपीओ की सेबी ने शुरू की जांच, निवेश के उल्लंघन का मामला
मुंबई- पूंजी बाजार नियामक सेबी ने अदाणी समूह की कंपनी अदाणी इंटरप्राइजेज के फॉलोऑन पब्लिक ऑफर (एफपीओ) की जांच शुरू कर दी है। मामला इसमें निवेश करने वाले कुछ निवेशकों से जुड़ा है। हालांकि, अदाणी समूह ने पूरी तरह से भरने के बाद भी इसे वापस ले लिया था।
20 हजार करोड़ रुपये का एफपीओ 27 से 31 जनवरी के बीच खुला था। इसके खुलने से पहले ही हिंडनबर्ग की एक रिपोर्ट ने पूरे समूह को घसीट लिया है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) इस मामले में कानूनों के किसी भी संभावित उल्लंघन या शेयर बिक्री प्रक्रिया में किसी भी तरह के हितों के टकराव की जांच कर रहा है। साथ ही मॉरीशस की दो कंपनियों ग्रेट इंटरनेशनल टस्कर फंड और आयुष्मान की अदाणी के साथ संबंधों की जांच भी हो रही है। इन दोनों ने एफपीओ में एंकर निवेशक के रूप में पैसा लगाया था।
भारत के कैपिटल एवं डिस्क्लोजर नियमों के मुताबिक, अगर कोई संस्थान किसी कंपनी के संस्थापक या संस्थापक समूह से जुड़ा है तो वह उसकी कंपनी में एंकर निवेशक नहीं हो सकता है। सेबी यही जांच कर रहा है कि जो भी एंकर निवेशक हैं, क्या वो अदाणी समूह के संस्थापकों से जुड़े हैं या नहीं। सूत्रों ने कहा कि सेबी की जांच में एलारा कैपिटल और मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल भी हैं। यह उन 10 निवेश बैंकर्स में से हैं जिन्होंने एफपीओ का प्रबंधन किया था। सेबी ने पिछले हफ्ते दोनों फर्मों से संपर्क किया था।
हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि अडाणी की एक निजी कंपनी की मोनार्क में मामूली हिस्सेदारी थी। यह कंपनी पहले समूह के लिए एक बुक रनर के रूप में काम कर चुकी थी। इस संबंध से स्पष्ट रूप से हितों का टकराव होता है। इसने यह भी आरोप लगाया कि एलारा के एक मॉरीशस स्थित फंड ने अदाणी की तीन कंपनियों के शेयरों में अपने बाजार मूल्य का 99% निवेश किया है। हालांकि, अदाणी ने कहा था कि मोनार्क को पिछली बार शेयर की बिक्री के लिए चुना गया था। मोनार्क ने एक्सचेंज को जानकारी दी है कि 2016 से अदाणी की उसमें महज 0.03% हिस्सेदारी है।
मूडीज ने शुक्रवार को अदाणी समूह की चार कंपनियों की रेटिंग स्थिर से घटाकर नकारात्मक कर दी है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद इन कंपनियों के मूल्य में तेजी से गिरावट आई है। इनमें अदाणी ग्रीन एनर्जी, अदाणी ग्रीन एनर्जी रिस्ट्रिक्टेड ग्रुप, अदाणी ट्रांसमिशन और अदाणी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई शामिल हैं।
उधर, अदाणी समूह ने अमेरिका की कानूनी फर्म वाचटेल को नियुक्त किया है जो हिंडनबर्ग से कानूनी लड़ाई लड़ेगी। ब्रिटिश के एक समाचार पत्र के मुताबिक,
वाचटेल के पास कॉरपोरेट कानून, नियामकीय और बड़े एवं संकट वाले लेनदेन के प्रबंधन का अनुभव है।