आरबीआई की लिस्ट पर बैन हुए एप, एनबीएफसी के साथ कर रहे थे काम 

मुंबई- इस हफ्ते सरकार ने जिन 230 चीनी एप पर प्रतिबंध लगाया है, उसमें से कुछ एप की सूची भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने सरकार को दी थी। केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक के बाद कहा कि ये ऐसे एप थे, जो गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) के साथ काम कर रहे थे। 

हालांकि, यह एनबीएफसी आरबीआई के साथ पंजीकृत हैं, लेकिन जो एप थे, वे आरबीआई की सूची में नहीं थे। इसी के बाद केंद्रीय बैंक ने सरकार को इनकी जानकारी दी थी। शक्तिकांत दास ने कहा कि एप पर प्रतिबंध से पहले पूरी सूची सरकार को दी गई थी। ऐसे में माना जा रहा है कि आरबीआई की इस सूची के आधार पर ही सरकार ने ढेर सारे एप को प्रतिबंध कर दिया। 

दास ने कहा कि आरबीआई ने उन ऐप्स की सूची मांगी है जिनके साथ पंजीकृत एनबीएफसी काम करते हैं। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि कई अवैध एप मोबाइल पर संदेश भेजकर कर्ज देने का वादा करते हैं, जबकि किसी एनबीएफसी ने उन्हें नियुक्त नहीं किया है। 

हालांकि, उप गवर्नर एम राजेश्वर राव ने कहा कि आरबीआई ने किसी भी डिजिटल उधारी एप पर प्रतिबंध लगाने का सुझाव नहीं दिया है। केंद्रीय बैंक की भूमिका आरबीआई के साथ पंजीकृत संस्थाओं द्वारा उपयोग किए जाने वाले एप की सूची साझा करने तक ही सीमित है। 

इस हफ्ते इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय ने कुल 230 चीनी एप को प्रतिबंधित किया था। इसमें बाय नाउ पे लेटर जैसे एप भी शामिल थे। इन एप में से 94 एप कर्ज देने से जुड़े थे। 138 एप जुआखोरी में शामिल थे। 

6 माह पहले 288 एप की हुई थी जांच 

सरकार ने करीब 6 माह पहले 288 चीनी एप की जांच की थी। इसमें पता चला कि ये एप भारतीय नागरिकों के निजी आंकड़ों की चोरी कर रहे हैं। इसके बाद सरकार ने आईटी अधिनियम के तहत चीनी एप को बैन किया। चीनी ऐप्स सस्ते में भारतीयों को कर्ज उपलब्ध करा रहे थे। वही कर्ज की वसूली करने के नाम पर जबरन वसूली और उत्पीड़न करते थे। चीनी एप मुश्किल में फंसे लोगों को कर्ज लेने का लालच देते थे फिर उनसे सालाना 3,000 फीसदी तक ब्याज लेते थे। 

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