निर्यात 23 माह बाद पहली बार घटा, व्यापार घाटा बढ़कर 27 अरब डॉलर
मुंबई- वैश्विक मांग घटने से देश के निर्यात में अक्तूबर में 23 महीने बाद पहली बार गिरावट आई है। इस दौरान निर्यात सालाना आधार पर 16.65 फीसदी घटकर 29.78 अरब डॉलर रह गया। इससे पहले नवंबर, 2020 में वस्तुओं एवं सेवाओं का निर्यात 8.74 फीसदी घटा था। अक्तूबर, 2021 में 35.73 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था।
वाणिज्य मंत्रालय के मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान आयात करीब 6 फीसदी बढ़कर 56.69 अरब डॉलर पहुंच गया। आयात में वृद्धि से देश का व्यापार घाटा 50.25 फीसदी बढ़कर 26.91 अरब डॉलर पहुंच गया। पिछले साल अक्तूबर में यह आंकड़ा 17.91 अरब डॉलर रहा था।
मंत्रालय ने कहा, रत्न-आभूषण, इंजीनियरिंग उत्पाद, पेट्रोलियम उत्पाद, बने कपड़े, रसायन, फार्मा और चमड़ा के नकारात्मक प्रदर्शन से निर्यात में गिरावट आई है। वहीं, कच्चे तेल, कपास, उर्वरक और मशीनरी जैसे कुछ कच्चे माल की अधिक मांग से आयात बढ़ा है। विशेषज्ञों का कहना है कि आर्थिक वृद्धि के साथ घरेलू मांग में वृद्धि के कारण आयात बढ़ रहा है।
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा कि वैश्विक स्तर पर विपरीत परिस्थितियां दुनियाभर में मांग को प्रभावित कर रही हैं। इसका भारत के निर्यात पर भी प्रभाव पड़ेगा। वैश्विक व्यापार (मर्चेंडाइज) में भारत की हिस्सेदारी 1.8 फीसदी है, जबकि वैश्विक सेवाओं में यह 4 फीसदी है। इसे बढ़ाने की काफी संभावनाएं हैं।
विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के मुताबिक, वैश्विक व्यापार इस साल 3.5 फीसदी बढ़ सकता है, जबकि 2023 में इसकी वृद्धि दर घटकर महज एक फीसदी रह जाएगी।
अब महीने में केवल एक बार व्यापार आंकड़े जारी करने के कारण के बारे में पूछे जाने पर बर्थवाल ने कहा, महीने के पहले सप्ताह और फिर उस महीने के मध्य तक जारी आंकड़ों में कुछ उतार-चढ़ाव था। इसलिए यह फैसला लिया गया है।
आंकड़ों के मुताबिक, 2022-23 की अप्रैल-अक्तूबर अवधि में देश का निर्यात 12.55 फीसदी बढ़कर 263.35 अरब डॉलर पहुंच गया। इस दौरान 436.81 अरब डॉलर का आयात किया गया, जो 2021-22 की समान अवधि के मुकाबले 33.12 फीसदी ज्यादा है। आयात बढ़ने से अप्रैल-अक्तूबर में व्यापार घाटा सालाना आधार पर 84.21 फीसदी बढ़कर 173.46 अरब डॉलर पहुंच गया। 2021-22 की समान अवधि में यह आंकड़ा 94.16 अरब डॉलर रहा था।
निर्यातकों के संगठन फियो ने कहा, माल की कीमतों में वृद्धि, बढ़ती महंगाई, मंदी में प्रवेश करने वाली अर्थव्यवस्था, मुद्राओं में उच्च अस्थिरता और भू-राजनीतिक संकट के कारण मांग में कमी के बीच वस्तुओं के निर्यात में मंदी आई है।