बजट में विनिर्माण और निर्यात पर हो सकता है फोकस, चीन को लगेगा झटका
मुंबई- भारत आगामी बजट में अधिक समर्थन उपायों के माध्यम से अपने विनिर्माण और निर्यात क्षेत्रों को और अधिक मजबूत बनाने की योजना बना सकता है। चीन की धीमी होती अर्थव्यवस्था का फायदा उठाने की कोशिश के तहत ऐसा किया जाएगा। विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के साथ वित्त मंत्रालय ने अपने बजट पूर्व परामर्श शुरू कर दिया है। उन्होंने संकेत दिया है कि विभिन्न समर्थन उपायों वाले स्थानीय विनिर्माण और निर्यात को बढ़ावा देने वाली योजनाओं को फंड आवंटन में प्राथमिकता दी जाएगी। बजट का फोकस स्थानीय विनिर्माण और निर्यात पर फोकस के साथ विकास को बढ़ावा देना होगा।
अधिकारी ने कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था उसकी उम्मीद से धीमी गति से बढ़ने की उम्मीद है। भू-राजनीतिक घटनाक्रम चीन में स्थित कंपनियों को विकल्प तलाशने के लिए प्रेरित कर सकता है। ऐसे में भारत इसके लिए बेहतर विकल्प बन सकता है। भारतीय वस्तुओं के कुछ प्रमुख बाजारों में मंदी के साथ निर्यात में कमी आने को लेकर नीति निर्माताओं में चिंता बढ़ रही है। सितंबर में मासिक आर्थिक समीक्षा ने आगाह किया कि वैश्विक मंदी निर्यात वृद्धि को कम कर सकती है। इससे देश का व्यापार संतुलन भी प्रभावित हो सकता है।
पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में इस साल अप्रैल-सितंबर में भारत का निर्यात 16.96% बढ़ा है। पिछले महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बाहरी मोर्चे पर जोखिमों के बारे में आगाह किया था। सीतारमण ने निर्यातकों को सरकार से सभी आवश्यक समर्थन का आश्वासन देते हुए कहा, हमें निर्यात में चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। हमें यह देखना होगा कि वैश्विक चुनौतियों के माहौल में हमारे निर्यात को सबसे अच्छा समर्थन कैसे दिया जा सकता है।
प्रमुख अर्थशास्त्रियों ने यह भी सुझाव दिया है कि चीनी अर्थव्यवस्था के धीमे होने और वैश्विक व्यापार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के कारण भारत इस अवसर का लाभ उठा सकता है जो कि वर्तमान में 1.7% है। यह चीन के 12% के हिस्से से काफी कम है। कोलंबिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने शनिवार को एक कार्यक्रम में कहा कि वियतनाम जैसे देश इस तरह के अवसर का फायदा उठाने में भारत से आगे हैं।