नोटबंदी के 6 साल- न भ्रष्टाचार कम हुआ, न काला धन, अब ज्यादा नकदी 

मुंबई- देश में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले पांच सौ और हजार रुपये के नोटों पर बैन लगने के बाद शुरुआती कुछ दिन मुश्किलों भरे थे। नोटबंदी के कुछ दिनों बाद जब दो हजार, पांच सौ और दो सौ रुपये के नोट चलन में तब जाकर स्थिति सामान्य हुई। उससे पहले लोगों को बैंकों की लंबी-लंबी कतार में लगकर अपने नोट बदलने पड़े। कई जगहों पर शादी-विवाह के मौके पर लोगों को खासी परेशानी झेलनी पड़ी थी।  

हालांकि एक बार जब बाजार में नए नोट चलन में आ गए तो धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो गई। नोटबंदी के बाद देश में करेंसी नोटों के प्रचलन में भी खासी तेजी देखने को मिली है। बता दें कि आठ नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 रुपये और 1,000 रुपये मूल्यवर्ग के नोटों को वापस लेने के निर्णय की घोषणा की थी। सरकार की ओर से उस समय कहा गया था कि यह कदम अर्थव्यवस्था में भ्रष्टाचार और काले धन के प्रचलन को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है। 

फिलहाल देश में करेंसी नोटों के चलन में करीब 72 फीसदी का इजाफा हो चुका है। हालांकि इस दौरान डिजिटल और यूपीआई के माध्यम से भुगतान का नया चलन भी देश में शुरू हो गया। कोरोना काल के दौरान इसमें और बढ़ोतरी आई और वर्तमान में डिजिटल पेंमेंट लगभग-लगभग करेंसी नोटों की तरह ही सामान्य हो चुका है। नोटबंदी के बाद देश में नकद के रूप में मौजूद करेंसी में भी बड़ा इजाफा देखने को मिला है।  

भारतीय रिजर्व बैंक के 21 अक्तूबर 2022 तक के आंकड़ों के अनुसार बीते छह वर्षों में देश में जनता के पास मौजूद करेंसी बढ़कर 30.88 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि विमुद्रीकरण के छह साल बाद और डिजिटल लेनदेन बढ़ने के बावजूद लोग अब भी नकदी का उपयोग बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। नोटबंदी के बाद से देश में करेंसी नोटों का चलन 72 फीसदी बढ़ा 

जनता के पास मौजूद 30.88 लाख करोड़ रुपये की करेंसी का आंकड़ा 4 नवंबर 2016 को समाप्त पखवाड़े के दौरान मौजूद करेंसी के स्तर से 71.84 प्रतिशत अधिक है। चार नवंबर 2016 को देश के पब्लिक डोमेन में 17.7 लाख करोड़ रुपये की करेंसी मौजूद थी। जनता के पास मौजूद मुद्रा से तात्पर्य उन नोटों और सिक्कों से है जिनका उपयोग लोग लेन-देन करने, व्यापार निपटाने और सामान और सेवाओं की खरीदारी के लिए करते हैं। प्रचलन में मौजूद मुद्रा से बैंकों में मौजूद नकदी को घटना के बाद यह आंकड़ा निकाला जाता है। 

डिजिटल रूप से भुगतान का चलन बढ़ने के बावजूद नकद पर लोगों का भरोसा कायम 

आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार भुगतान के नए और सुविधाजनक डिजिटल विकल्पों के लोकप्रिय होने के बावजूद अर्थव्यवस्था में नकदी का उपयोग लगातार बढ़ रहा है। हालांकि, पहले नोटबंदी और फिर कोरोना महामारी के दौरान लोग बड़े पैमाने पर नोटबंदी का उपयोग करने लगे हैं। 

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