6 साल में पहली बार आरबीआई बताएगा क्यों कम नहीं हो रही महंगाई 

मुंबई। 6 साल पहले मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का गठन होने के बाद पहली बार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) लगातार 9 महीनों तक महंगाई दर को तय दायरे में नहीं रख पाने पर एक रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपेगा। साल 2016 में मौद्रिक नीति निर्धारण के एक व्यवस्थित ढांचे के रूप में एमपीसी का गठन किया गया था। उसके बाद से यही नीतिगत ब्याज दरों के बारे में निर्णय लेती है।  

दरअसल, आरबीआई अधिनियम की धारा 45जेडएन में प्रावधान है कि लगातार तीन तिमाहियों यानी लगातार 9 महीनों तक महंगाई दर के निर्धारित स्तर से ऊपर रहने पर केंद्रीय बैंक को अपनी नाकामी के बारे में सरकार को एक रिपोर्ट सौंपनी होगी। महंगाई के मौजूदा स्तर को देखते हुए आरबीआई ने 3 नवंबर को एमपीसी की विशेष बैठक बुलाई है, जिसमें सरकार को सौंपी जाने वाली रिपोर्ट को तैयार किया जाएगा। 

एमपीसी ढांचे के तहत सरकार ने आरबीआई को यह जिम्मेदारी सौंपी थी कि महंगाई दर 4 प्रतिशत से नीचे बनी रहे। हालांकि, इस साल जनवरी से ही महंगाई दर लगातार 6 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है। महंगाई दर का यह स्तर दिखाता है कि आरबीआई अपनी जिम्मेदारी निभाने में असफल रहा है। इसके साथ ही आरबीआई को यह भी बताना होता है कि वह स्थिति को काबू में लाने के लिए किस तरह के कदम उठा रहा है। 

सरकार ने 31 मार्च 2021 को जारी एक अधिसूचना में कहा था कि मार्च 2026 तक आरबीआई को महंगाई दर चार फीसदी (दो फीसदी अधिक या दो फीसदी कम) के भीतर रखना होगी। इस तरह सरकार ने 5 वर्षों के लिए महंगाई दर को अधिकतम 6 फीसदी तक रखने का दायित्व आरबीआई को सौंपा था। 

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