एक तिहाई हवाई यात्रियों को सीट के लिए देनी पड़ी अलग से रकम 

मुंबई- पिछले 12 महीनों में करीबन एक तिहाई यात्रियों को फ्लाइट में सीटों के लिए अलग से पैसा देना पड़ा, क्योंकि मुफ्त सीट का विकल्प उपलब्ध नहीं था। लोकल सर्कल ने कहा कि 351 जिलों में 30 हजार लोगों के बीच एक सर्वे किया गया। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने 2015 में कहा था कि भारतीय एयरलाइंस कंपनियां यात्रियों से उनकी पसंदीदा सीट के लिए अलग से पैसे ले सकती हैं। इसके साथ ही सामानों और एयरलाइंस के लांज और अन्य सुविधाओं के लिए भी शुल्क लिया जा सकता है।  

सर्वे में हर तीसरे व्यक्ति ने कहा कि उन्होंने जब टिकट बुक किया तब उनको मुफ्त सीट का विकल्प नहीं मिला। कुछ यात्रियों ने पसंदीदा सीट के लिए 200 से 1500 रुपये तक का शुल्क दिया। दरअसल, एयरलाइंस कंपनियां उस समय भी पैसा लेकर सीट देती हैं, अगर उड़ान के दौरान कोई सीट खाली रह गई है। इस तरह की सीटों में आगे की सीट, आपातकाल निकास की सीट और अन्य सीट होती हैं जिसमें ज्यादा जगह होती है। सर्वे में कई ग्राहकों ने शिकायत की कि कुछ एयरलाइंस अभी भी सभी सीटों के लिए पैसे ले रही हैं। एक भी सीट मुफ्त में उपलब्ध नहीं है। 

हवाई यात्रियों की संख्या में तेजी से हो रही बढ़ोतरी से ऐसा अनुमान है कि यह कोरोना के पहले के स्तर पर पहुंच सकती है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा है कि इस वित्त वर्ष में इसमें 75 फीसदी की वृद्धि दिखी है। 9 अक्तूबर को 4 लाख लोगों ने हवाई यात्रा की थी।  

अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को अभी भी पूरी तरह से खुलने में समय लगेगा, जिसका फायदा घरेलू स्तर पर मिल रहा है। इसने कहा कि एयरपोर्ट संचालकों का अनुमान है कि वे इस वित्त वर्ष में कोरोना के पहले के ट्रैफिक तक पहुंच सकते हैं। इससे राजस्व में सुधार होगा। वित्त वर्ष 2023 में ट्रैफिक वोल्यूम 34 करोड़ यात्रियों तक जा सकता है। यह 2020 का स्तर है। अप्रैल से अगस्त तक के पांच महीनों में 2021 की तुलना में वोल्यूम करीब 88 फीसदी था, जबकि 2020 की तुलना में यह 92 फीसदी था। अंतरराष्ट्रीय ट्रैफिक 75 फीसदी थी। 

2015 से 2020 के दौरान हवाई क्षेत्र की सालाना वृद्धि 12 फीसदी सीएजीआर की दर से रही थी। इसका कारण सरकार की उड़ान योजना थी क्योंकि महानगरों के अलावा छोटे शहरों में भी उड़ानों को शुरू किया गया था। उसके बाद कोरोना के कारण वित्त वर्ष 2021 और 2022 बुरी तरह प्रभावित रहा। वित्त वर्ष 2020 की तुलना में इस दौरान केवल 55 फीसदी की ही रिकवरी देखी गई थी। इस साल अगस्त में कुल 1.01 करोड़ लोगों ने हवाई यात्रा की थी। 

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