रेपो दर बढ़ने का 5-6 तिमाहियों के बाद दिखेगा महंगाई पर असर
नई दिल्ली। मौद्रिक नीतियों को कठोर करने का असर महंगाई पर अगली 5-6 तिमाहियों के बाद ही दिखेगा। हमारा महंगाई का लक्ष्य 4 फीसदी है जिसमें 2 फीसदी कम या ज्यादा का भी विकल्प है। महंगाई को नियंत्रण में करने के लिए हमने मई से अब तक 1.90 फीसदी की बढ़त रेपो दर में की है।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य जयंत आर वर्मा ने कहा कि महंगाई कम होगी। इसमें कोई संदेह नहीं है। हालांकि, कठोर नीतियों का असर दिखना अभी बाकी है। इसका असर दिखेगा और कीमतें भी नीचे आएंगी। देश की खुदरा महंगाई सितंबर में 5 महीने के ऊपरी स्तर 7.41 फीसदी पर रहा।
वर्मा ने कहा कि हमने अप्रैल से नीतियों को कड़ा करने की योजना बनाई थी। इसका असर इस साल के अंत में दिखना शुरू होगा। देश की अर्थव्यवस्था की विकास दर वास्तव में कई वर्षों से कम है। हमें मंदी का डर नहीं है। लेकिन जो विकास हम चाहते हैं, वैसा नहीं हो रहा है। विश्व बैंक ने 6 अक्तूबर को चालू वित्त वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था में 6.5 फीसदी की वृद्धि का अनुमान लगाया था। इसके जून के अनुमान की तुलना में यह एक फीसदी कम है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने हाल में भारत की विकास दर का अनुमान घटाकर 6.8 फीसदी कर दिया है। 2021 में इसने 8.7 फीसदी विकास का अनुमान लगाया था। वर्मा ने कहा कि इस तरह से दो चुनौतियां हमारे सामने हैं। एक तो अर्थव्यवस्थआ की वृद्धि दर उससे नीचे है, जो हम चाहते हैं। दूसरा महंगाई हमारे लक्ष्य से ज्यादा है। रुपये की गिरावट पर उन्होंने कहा कि यह मेरा व्यक्तिगत विचार है कि रुपये की गिरावट पर आप कैसा व्यवहार करते हैं और डॉलर के मजबूत होने पर आप कैसा व्यवहार करते हैं।