आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था को करना पड़ सकता है जोखिमों का सामना 

मुंबई- इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (आईएमएफ) का कहना है कि वैश्विक कारणों से भारतीय इकॉनमी को आने वाले दिनों में जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है। इनमें दुनियाभर के बैकों के ब्याज दरों में बढ़ोतरी और यूक्रेन में जारी जंग का प्रभाव जारी है। साथ ही खाने पीने की चीजों की महंगाई भी भारत को भारी पड़ सकती है। आईएमएफ इंडिया की मिशन चीफ Nada Choueiri ने कहा कि आने वाले दिनों में ब्याज दरों में और बढ़ोतरी हो सकती है।  

साथ ही यूक्रेन में जारी जंग समाप्त होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। इनका भारत पर ब्यापक प्रभाव देखने को मिल सकता है। इससे पहले आईएमएफ ने हाल ही में इस वित्त वर्ष के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को 0.6 फीसदी घटाकर 6.8 फीसदी कर दिया था। यह अमेरिका के बाद किसी भी बड़े देश के जीडीपी अनुमान में की गई सबसे बड़ी कटौती की है।

आईएमएफ का कहना है कि भारत में इस साल महंगाई की औसत दर 6.9 फीसदी रह सकती है। दुनियाभर में कमोडिटी की कीमतों में गिरावट आई है लेकिन खाने पीने की चीजें महंगी हुई है। Choueiri ने कहा कि भारत के लिए खाने पीने की चीजों की महंगाई से निपटना एक बड़ी चुनौती है। इसने आरबीआई के काम को मुश्किल बना दिया है। उन्होंने कहा कि महंगाई को कम करने के लिए और उपाय किए जाने की जरूरत है। उम्मीद है कि अगले साल से महंगाई में कमी आनी शुरू होगी। 

देश में सितंबर में खुदरा महंगाई 7.41 फीसदी पहुंच गई जो पांच महीने में इसका उच्चतम स्तर है। यह लगातार नौवां महीना है जब महंगाई आरबीआई के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है। नियम के मुताबिक अब आरबीआई को इस बारे में सरकार को जवाब देना पड़ेगा। 

महंगाई को काबू में करने के लिए केंद्रीय बैंक मई से ब्याज दरों में 1.90 फीसदी की बढ़ोतरी कर चुका है। दिसंबर में इसमें फिर 50 बेसिस अंक की बढ़ोतरी के कयास लगाए जा रहे हैं। Choueiri ने कहा कि डिमांड को कम करने और महंगाई को रोकने लिए फिर ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने की जरूरत है। लेकिन साथ ही आपको इकॉनमी का भी ध्यान रखना है।  

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