कारोबार करना होगा और आसान, छोटे अपराधों को हटाने के लिए विधेयक 

मुंबई- कारोबार को आसान बनाने के लिए उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) विभिन्न मंत्रालयों के तहत संबंधित प्रावधानों को युक्तिसंगत बनाकर छोटे अपराधों को कम करने की योजना बना रहा है। इसके लिए एक विधेयक लाने की तैयारी है, जिसके लिए कैबिनेट से मंजूरी मांगी जाएगी।  

एक अधिकारी के अनुसार, कारोबार को आसान करने के लिए संशोधन विधेयक 2022 अंतिम चरण में है। इसे संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है। इस बिल में 16 मंत्रालयों के 35 एक्ट में कुल 110 प्रावधान हैं जिन्हें युक्तिसंगत बनाने की तैयारी है। 

अधिकारी ने बताया कि प्रस्तावित कानून के पीछे सुधार के एजेंडे को अगले स्तर पर ले जाते हुए सरकार कारोबार के अनुपालन को कम करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। इसके लिए एक चार स्तरीय रणनीति बनाई गई है। इसमें सरलीकरण, डिजिटलीकरण, छोटे अपराधों को हटाने और जरूरी नियमों या कानूनों को समाप्त करने की योजना है। सभी प्रमुख शेयर धारकों के साथ विचार-विमर्श के बाद इस विधेयक को अंतिम रूप दिया गया है। 

विभाग ने पाया कि ऐसे कई सारे प्रावधान हैं, जिनको कभी लागू ही नहीं किया गया है। जबकि उद्योग के मन में इन प्रावधानों के प्रति डर बना रहता है। इसमें कारावास को दंड में बदलने की भी बात है। इससे अदालतों पर बोझ कम होगा। इन 35 कानूनों में वित्त, खाद्य उत्पादन और वितरण, वित्तीय सेवाएं , कृषि, वाणिज्य,, रक्षा, पोस्ट, आईटी सहित कई विभाग हैं। 

कुछ उदाहरणों का हवाला देते हुए अधिकारी ने कहा कि वन क्षेत्रों में मवेशियों के अतिचार करने की मंजूरी देने के लिए 6 महीने तक का कारावास है। इसे हटाने का प्रस्ताव है। इसी तरह से समुद्री उत्पादों के आयात निर्यात को प्रतिबंधित करने से संबंधित आदेशों के उल्लंघन के लिए एक वर्ष कारावास और 5 हजार रुपये जुर्माना है। इसे भी हटाया जाएगा। ऐसे कई सारे कानून हैं जिनकी जरूरत नहीं है।   

अधिकारी ने कहा कि यह बिल विश्वास आधारित शासन सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए शुरुआती कदमों में से एक है। यह देश के कारोबारी माहौल में सुधार के लिए एक सतत प्रक्रिया है। बिना किसी दुर्भावनापूर्ण इरादे वाले कारोबार जो चूक के कारण ऐसे अपराधों में फंस गए हैं, ऐसे मामलों को खत्म करना है। डीपीआईआईटी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि अनुपालन को कम किया जा सके। 

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