विदेशी इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों को 45 अरब रुपये का इंसेंटिव
नई दिल्ली। देश में लैपटॉप और टैबलेट बनाने वाली तथा निर्यात हब के लिए विदेशी इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों को सरकार 45 अरब रुपये की प्रोत्साहन रकम दे सकती है। चीन में ऐसी कंपनियों के उत्पादन को चुनौती देने के तहत सरकार यह फैसला ले रही है।
इस मामले में प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने उद्योग के अधिकारियों के लिए एक सलाह पत्र जारी किया है। इसमें प्रति कंपनी प्रोत्साहन की रकम 4,000 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है। भारत ऐसे उत्पादों के आयात में कटौती करने और लंबी अवधि में देश को निर्यात केंद्र बनाने के लिए टैबलेट और उत्पादन को बढ़ावा देना चाहता है।
सूत्रों ने कहा कि इस फैसले से एपल, डेल, एचपी और अस्टक जैसी कंपनियों को स्थानीय उत्पादन को बढ़ाने या शुरू करने के उद्देश्य से है। हालांकि, एपल पहले से ही भारत में आईफोन की असेंबलिंग कर रहा है। वह अब स्थानीय रूप से आईपैड बनाने का काम शुरू कर सकती है। इस प्रोत्साहन रकम को पाने के लिए कंपनियों को देश में पांच साल में 7 अरब रुपये का निवेश करना होगा।
भारत सरकार नीतिगत पहलों के माध्यम से वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों को आकर्षित करने के प्रयासों में तेजी ला रही है। भू-राजनीतिक तनाव और इसकी विघटनकारी कोविड जीरो नीति के कारण चीन का आकर्षण कम हो गया है। इस कड़ी में एपल ने आईफोन 14 को भारत में बनाना शुरू कर दिया है। डेल और एचपी जैसी कंपनियां भारत में बहुत ही छोटे स्तर पर लैपटाप का निर्माण करती हैं। प्रोत्साहन रकम से ये निर्माण में तेजी ला सकती हैं। हालांकि, चीन की कंपनी लेनोवो को इस योजना में शामिल होना मुश्किल हो सकता है।
प्रोत्साहन की रकम कलपुर्जों के स्थानीय निर्माण पर निर्भर होगी जो तैयार उत्पादों पर 6 फीसदी के बराबर हो सकता है। हालांकि, उद्योग से चर्चा के बाद इस योजना में बदलाव भी हो सकता है। पिछले साल भारत ने स्थानीय विनिर्माण और लैपटॉप, टैबलेट एवं पर्सनल कंप्यूटर जैसे आईटी उत्पादों के निर्यात के लिए 73.5 अरब रुपये का कार्यक्रम शुरू किया था, पर कम प्रोत्साहन के कारण यह प्रयास कंपनियों को आकर्षित करने में फेल हो गया था।