अमेरिका में मंदी, जीडीपी में 0.9 फीसदी की आई गिरावट  

मुंबई- अमेरिकी इकॉनमी में चालू वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही के दौरान सालाना आधार पर 0.9 प्रतिशत की गिरावट आई। यह लगातार दूसरी तिमाही है जब आर्थिक वृद्धि दर घटी है। वाणिज्य मंत्रालय के गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार इससे पहले जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 1.6 प्रतिशत की गिरावट आई थी।  

लगातार दो तिमाहियों में जीडीपी में गिरावट मंदी का संकेत है। हालांकि, आंकड़ा अभी स्थाई नहीं है, इसमें बदलाव हो सकता है। अभी इसे दो बार सुधार किया जाएगा। पिछले साल दूसरी तिमाही में देश की इकॉनमी 6.7 फीसदी की दर से बढ़ी थी। जीडीपी में गिरावट का आंकड़ा ऐसे समय जारी किया गया है,जब बढ़ती महंगाई और कर्ज की ऊंची लागत के कारण उपभोक्ता तथा कंपनियां प्रभावित हैं। 

इकॉनमी में लगातार दो तिमाहियों में गिरावट को मंदी कहा जाता है। इससे पहले अमेरिकी इकॉनमी में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सालाना आधार पर 1.6 प्रतिशत की गिरावट आई थी। सप्लाई चेन की समस्याओं, कमोडिटीज की कीमत और लेबर कॉस्ट में तेजी और लेबर तथा तेल की बढ़ती कीमत के कारण अमेरिका में महंगाई चार दशक के चरम पर है।  

इससे देश में मंदी की आशंका जोर पकड़ रही है। अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी है और अगर वह मंदी की चपेट में आती है तो इसका असर पूरी दुनिया पर देखने को मिल सकता है। उल्लेखनीय है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व (केंद्रीय बैंक) ने बुधवार को लगातार दूसरी बार नीतिगत दर में 0.75 प्रतिशत की वृद्धि की।  

हालांकि, फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल और कई अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि अर्थव्यवस्था में कुछ नरमी जरूर है, लेकिन उन्हें मंदी को लेकर संदेह है। इसका कारण श्रम बाजार में मजबूती है। 1.1 करोड़ नई नौकरियों के अवसर उपलब्ध हुए हैं और बेरोजगारी दर 3.6 प्रतिशत है जो अपेक्षाकृत काफी कम है। पिछले साल अमेरिकी की आर्थिक वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत रही थी। 

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