डिजिटल अर्थव्यवस्था में बढ़ रही है महिलाओं की भूमिका, शादीशुदा को मिल रहा काम 

मुंबई- देश की प्लेटफॉर्म इकोनॉमी यानी मोबाइल ऐप्स से चलने वाली डिजिटल अर्थव्यवस्था तेजी से रफ्तार पकड़ रही है। स्विगी, रैपिडो, अर्बन कंपनी जैसे प्लेटफॉर्म्स इसी इकोनॉमी का हिस्सा हैं। नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक देश में 2010 तक ऐसे प्लेटफॉर्म्स 10 से कम थे लेकिन आज 60 से ज्यादा हैं। देश में इस प्लेटफॉर्म से जुड़ी महिलाओं में 70% से ज्यादा महिलाएं शादीशुदा हैं। अधिकतर महिलाएं हफ्ते में 40 घंटे तक काम करके महीने में 75 हजार रुपए तक कमा रही हैं। 

सर्वे में अधिकतर महिलाएं अर्बन कंपनी, स्विगी, ओला और सखा कैब जैसे प्लेटफॉर्म से जुड़ी हुई हैं। इनमें कई 11-12वीं पास हैं जिन्होंने परिवार को सहारा देने के लिए शादी के बाद प्लेटफॉर्म जॉब्स जॉइन की। ये घर को संभालते हुए सहूलियत के हिसाब से काम करती हैं। 42% महिलाओं के लिए इन जॉब्स से हो रही कमाई ही प्राथमिक आय है।​​​​​​​ 

देश में करीब 33 लाख लोग प्लेटफॉर्म इकोनॉमी से रोजगार पा रहे हैं। ये आंकड़ा रेलवे में (12 लाख), टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (5 लाख) द्वारा दी जाने वाली नौकरियों से भी ज्यादा है। 2010-2018 के बीच देश में ऑनलाइन कैब सर्विस ओला और उबर ने ही 22 लाख से ज्यादा नौकरियां दीं।  

रैपिडो से भी 2020 तक 5 लाख लोग जुड़े थे। फूड डिलीवरी सर्विस जोमैटो से 1.61 लाख और स्विगी से 1.50 लाख लोग डिलीवरी पार्टनर के रूप में रोजगार पा रहे थे। नीति आयोग की रिपोर्ट में आने वाले 3-4 सालों में प्लेटफॉर्म इकोनॉमी से जुड़ी नौकरियां 2.4 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। 

ओला मोबिलिटी इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक 40 लाख की प्लेटफॉर्म इकोनॉमी वर्कफोर्स में सिर्फ 2% महिलाएं हैं। इसे बढ़ाने आयोग ने कंपनियों को टैक्स में छूट और स्टार्टअप ग्रांट के सुझाव दिए हैं। 

प्लेटफॉर्म इकोनॉमी से जुड़े 99% के पास स्मार्टफोन उपलब्ध हैं। 83% महिलाओं ने इन जॉब्स के बारे में दोस्त या परिचित से सुना। इसके बाद उन्होंने ऑनलाइन प्रक्रिया से विभिन्न प्लेटफॉर्म्स को जॉइन किया। 

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