ई-श्रम पोर्टल के 74 फीसदी कामगार एससी, एसटी और ओबीसी से 

मुंबई- सरकारी पोर्टल ई-श्रम पर पंजीकृत 27.69 करोड़ में से 26.05 करोड़ (94.11 फीसदी) श्रमिकों की मासिक कमाई 10,000 रुपये से कम है। जबकि 74 फीसदी यानी 20.49 करोड़ कामगार अनुसूचित जाति (एससी) अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ी जाति (ओबीसी) से संबंधित हैं।  

हालिया जारी आंकड़ों के मुताबिक, महीने में 10,000 रुपये से कम कमाने वालों की संख्या नवंबर, 2021 में 92.37 फीसदी थी। हालांकि, उस समय कुल पंजीकृत कामगारों की संख्या केवल 8 करोड़ ही थी। जबकि एससी, एसटी और ओबीसी की संख्या 72.58 फीसदी थी। 

आंकड़े बताते हैं कि 4.36 फीसदी कामगारों की कमाई 10 से 15 हजार रुपये के बीच है। पिछड़े समुदाय में 45.32 फीसदी ओबीसी, 20.95 फीसदी एससी और 8.17 फीसदी एसटी से आते हैं। सामान्य वर्गों के कामगारों की संख्या 25.56 फीसदी है। 

आंकड़े बताते हैं कि 61.72 फीसदी कामगारों की उम्र 18 से 40 साल की है। 22.12 फीसदी की उम्र 40 से 50 साल के बीच है। 13.23 फीसदी लोगों की उम्र 50 साल से ज्यादा है जबकि 2.93 फीसदी की उम्र 16 से 18 साल है। कुल पंजीकृत कामगारों में से 52.81 फीसदी महिलाएं और 47.19 फीसदी पुरुष हैं। 

विशेषज्ञों का मानना है कि ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकरण बढ़ने के साथ पता चलता है कि समाज में काफी असमानता है। इस पोर्टल पर असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों कों पंजीकरण करने का सरकार का लक्ष्य है। इस क्षेत्र के कामगारों की संख्या देश में करीबन 38 करोड़ है। इसलिए इनका एक डाटाबेस तैयार करने का मकसद सरकार का है। 

इस पोर्टल को 26 अगस्त, 2021 को शुरू किया गया था। सरकार का लक्ष्य इसके जरिये देश के असंगठित क्षेत्र के सभी श्रमिकों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ देना है। आंकड़ों से पता चलता है कि इस क्षेत्र के कामगार काफी गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं और इनमें से ज्यादातर समाज के पिछड़े समुदाय से आते हैं। 

पोर्टल पर पंजीकरण करानेवालों में 5 राज्यों की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी है। इसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और ओड़िसा हैं। कामगारों में सबसे ज्यादा 52.11 फीसदी का मुख्य पेशा खेती है। 9.93 फीसदी लोग घरों में काम करते हैं। 9.13 फीसदी निर्माण क्षेत्र में मजदूरी करते हैं। 

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