घाटे वाली कंपनियों के आईपीओ में अधिक खुलासा करना होगा   

मुंबई- मार्केट रेगुलेटर सेबी का कहना है कि घाटे वाली नए जमाने की कंपनियों के इनीशियल पब्लिक ऑफर (IPO) के डॉक्यूमेंट में इश्यू प्राइस से संबंधित अधिक खुलासा होने चाहिए। सेबी ने कहा कि इन कंपनियों को अपने IPO डॉक्यूमेंट में यह बताना चाहिए कि वे किन प्रमुख मापदंडों के आधार पर अपने इश्यू प्राइस तक पहुंची हैं या उसे तय किया है। 

SEBI ने एक कंसल्टेशन पेपर में कहा कि ऐसी कंपनियों को अपने वैल्यूएशन से जुड़े खुलासे भी करने चाहिए, जो IPO में जारी किए गए नए शेयरों और पिछले 18 महीनों में अधिग्रहण किए गए शेयरों के आधार पर होना चाहिए। सेबी का यह कदम ऐसे में आया है, जब पिछले कुछ समय में नए जमाने की कई टेक कंपनियों ने फंडिंग जुटाने के लिए अपना IPO लॉन्च किया है।  

इनमें से कई टेक कंपनियों के पास IPO लाने से पहले के तीन सालों में मुनाफे का कोई ट्रैक रिकॉर्ड भी नहीं रहा था। ऐसी कंपनियां अभी IPO लाने के कतार में भी हैं। ऐसी कंपनियां आम तौर पर लंबे समय तक लाभ कमा पाने की स्थिति में नहीं पहुंच पाती हैं। इसकी वजह यह है कि ये कंपनिंया अपने शुरुआती वर्षों में प्रॉफिट में आने की जगह अपने बिजनेस के विस्तार पर और अधिक से अधिक मार्केट शेयर के कब्जे पर जोर देती हैं। 

सेबी ने अब कंसल्टेशन पेपर जारी कर कहा है कि घाटे में चल रहीं ऐसी कंपनियों के IPO को लेकर किन अतिरिक्त खुलासों को अनिवार्य बनाए जाने की जरूरत है। सेबी ने कहा कि इस कंसल्टेशन पेपर पर 5 मार्च तक संबंधित पक्षों की तरफ से टिप्पणियां और सुझाव भेजे जा सकते हैं। 

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