सर्विस प्रोवाइडर्स द्वारा 10 आम सेवाओं को किया जाए ट्रैक- दामोदरन
मुंबई- एक्सीलेंस इनेबलर्स के चेयरमैन दामोदरन ने कहा कि सर्विस प्रोवाइडर केवल सेवा देने के लिए मौजूद हैं। इसलिए इनके स्पष्टीकरण और बहाने (explanations and excuses) पर विचार नहीं किया जाना चाहिए। यही इस कोशिश की सबसे बड़ी कसौटी होनी चाहिए। सेबी के पूर्व चेयरमैन एम दामोदरन का कहना है कि प्रत्येक सर्विस प्रोवाइडर द्वारा प्रदान की जाने वाली 10 सबसे आम सेवाओं को ट्रैक किया जाना चाहिए। साथ ही लेन-देन के बजाय सिस्टेमेटिक समाधान खोजा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले राइट टू सर्विस एक्ट बनाने का भी प्रयास किया गया था। इसका विधेयक राज्यसभा से पारित हो गया। हालांकि संबंधित संसदीय समिति की स्वीकृति मिलने के बाद भी यह विधेयक लोकसभा में पेश नहीं हुआ। इस प्रकार यह लैप्स हो गया। उसी समय कुछ राज्य सरकारों ने सेवा के अधिकार के लिए कानून बनाया। कम से कम एक राज्य ने उन अधिकारियों के लिए दंड का प्रावधान भी किया जो कानूनी मानकों को पूरा नहीं करते हैं। मई 1997 में, मुख्यमंत्रियों के एक सम्मेलन में भारत में सिटीजन चार्टर की अवधारणा को अपनाया गया था। इसे पहली बार अधिकतम सार्वजनिक इंटरफेस वाले कुछ ही मंत्रालयों और विभागों में पेश किया गया था।
वित्तीय क्षेत्र में अब इंटरनेट के माध्यम से अधिक लेन-देन हो रहे हैं। इसके साथ आने वाले उत्पादों में भी बदलाव आया है। इन परिस्थितियों में सर्विस डिलीवरी की क्वालिटी को दिनों या घंटों में व्यक्त की गई समय-सीमा के माध्यम से ट्रैक करना एक बेवजह कार्य बन जाता है। ओवरआल स्तर पर लाखों मामले मौजूदा प्रशासनिक तंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती बन गए हैं।
सेवा लेने वाले के अधिकार और अपेक्षाएं समय-समय पर बदलती रहती हैं। इसमें सबसे नया सेबी का इन्वेस्टर्स चार्टर है, जो उन लोगों के लिए एक सांत्वना पुरस्कार (consolation prize) है जो 2021 के प्रमुख आईपीओ में निवेश से चूक गए थे।
यह भी माना गया है कि सिटीजन चार्टर के माध्यम से लागू नहीं की जा सकने वाली अपेक्षाओं को स्थापित करने की तुलना में शिकायतों को ट्रैक करना और उनका निवारण करना कहीं अधिक आसान है।
दामोदरन कहते हैं कि यह भी पाया गया कि प्रत्येक सेवा प्रदाता सैकड़ों सेवाएं दे रहा था, इसलिए सिटीजन चार्टर के माध्यम से सेवा की क्वालिटी की निगरानी और ट्रैकिंग एक बड़ी चुनौती बन गई। इसलिए चार्टर के माध्यम से एक सिस्टेमेटिक अप्रोच बेहतर विकल्प है।