स्विगी और जोमैटो का डिस्काउंट ऑफर टैक्स के दायरे में
मुंबई- ज़ोमैटो और स्विगी सहित फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म द्वारा दिया जाने वाला कूपन डिस्काउंट अब टैक्स के दायरे में आ सकता है। दरअसल डिलीवरी ऐप ग्राहकों को डेबिट और क्रेडिट कार्ड के पेमेंट पर काफी सारे डिस्काउंट देते हैं। इससे जुड़े लोगों ने कहा कि रेस्तरां और डिलीवरी ऐप के बीच जो भी अरेंजमेंट होता है और जिसके परिणामस्वरूप डिस्काउंट दिया जा रहा है, उसे टैक्स की जांच का सामना करना पड़ सकता है।
1 जनवरी से ज़ोमैटो और स्विगी दोनों को रेस्तरां के समान माना जाएगा। इसका मतलब यह होगा कि ज़ोमैटो और स्विगी को खाने की कुल कीमत पर 5% टैक्स देना होगा। हालांकि, रेस्तरां या होटल से सीधे भोजन खरीदने की स्थिति में कुछ अड़चनें आती हैं। ये कंपनियां किसी विशेष क्रेडिट या डेबिट कार्ड के माध्यम से पेमेंट करने पर डिस्काउंट देती हैं। उदाहरण के लिए, भोजन की कीमत 500 रुपए है।
अगर HDFC क्रेडिट कार्ड के माध्यम से पेमेंट किया जाता है, तो ऐप 75 रुपए काट लेता है। अब सवाल यह है कि 5% GST 500 रुपए या 425 रुपए पर किस पर लागू होता है। ज्यादातर मामलों में स्विगी और जोमैटो ने बैंकों के साथ सेटलमेंट किया है। अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि इस सेटलमेंट को बैंकिंग सेवाओं या क्रेडिट कार्ड के प्रचार के लिए लेन देन (barter) माना जा सकता है। टैक्स डिपार्टमेंट इस बात की जांच कर रहा है कि क्या ये स्विगी और जोमैटो के बीच हुए बार्टर एग्रीमेंट हैं। GST के तहत कुछ भी मुफ्त नहीं है और यहां तक कि बार्टर पर भी टैक्स लगता है।
लेन-देन GST के तहत आते हैं, पर सभी लेनदेन बार्टर के तहत नहीं आ सकते हैं। या फिर दोनों टैक्स के दायरे में आ सकते हैं। उदाहरण के लिए, ऑफर की जा रही सेवाओं के बारे में ईसीओ द्वारा वसूल किया गया कूपन डिस्काउंट पूरी तरह से फैक्ट, ट्रांजेक्शन की प्रकृति और इरादे पर निर्भर करेगा।
टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर ग्राहक किसी खास सीमा से ऊपर या किसी खास रेस्टोरेंट से ऑर्डर करते हैं तो भी इसी तरह का डिस्काउंट दिया जाता है। यहां भी, टैक्स डिपार्टमेंट इस बात की जांच करने के लिए तैयार है कि क्या इस तरह के प्रमोशन के लिए रेस्तरां द्वारा कोई पैसा दिया जा रहा है। यदि नहीं, तो इसकी जांच की जाएगी कि इसमें बार्टर शामिल है या नहीं।