RBI क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह से बैन लगाने के पक्ष में

मुंबई- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अपनी 8 साल पुरानी राय पर वापस आ रहा है। यह क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के पक्ष में है। दरअसल RBI ने साल 2013 में क्रिसमस की पूर्व संध्या पर एक नोट जारी किया था। इस नोट में इसने कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी भारतीयों के फाइनेंशियल, लीगल और सिक्योरिटी के लिए जोखिम है। इसके चार साल बाद 2017 में दुनिया की पहली क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन को लॉन्च किया गया। अब 8 साल बाद रिजर्व बैंक इस पर बैन लगाने के पक्ष में है।  

रिजर्व बैंक लगातार क्रिप्टो से फाइनेंशियल स्थिरता को होने वाले खतरों पर चिंता जताता रहा है। दूसरी चिंता इसकी कीमतों और ट्रांजेक्शन को ट्रेस करने की है। इसके अलावा भारत जैसे देशों को इसके फॉरेन एक्सचेंज को मैनेज करने का भी एक जोखिम बना रहेगा, क्योंकि ये पैसे डिजिटल करेंसी के जरिए निकल सकते हैं। इसके लिए डॉलर के रूप में निकालने की कोई जरूरत नहीं होगी।  

इस महीने की शुरुआत में RBI ने अपने बोर्ड से कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाना चाहिए। 2018 में सेंट्रल बैंक ने भारत में इस डिजिटल करेंसी के कारोबार पर बैन लगाया था और बैंकों से कहा था कि वे इससे संबंधित ऑर्डर को पूरा न करें। हालांकि 2020 में सुप्रीमकोर्ट ने इस फैसले को खारिज कर दिया था।  

सरकार क्रिप्टो को एक निवेश के साधन के तौर पर लाना चाहती है और इसे कायदे से रेगुलेट करना चाहती है। कुछ लोग इस पक्ष में हैं कि इनकम टैक्स नियम के तहत क्रिप्टोकरेंसी को असेट के तौर पर लाकर इस पर कैपिटल गेन टैक्स लगाना चाहिए। सरकार अभी भी इस मामले में कुछ तय नहीं कर पाई है। हालांकि संसद के शीतकालीन सत्र में इस पर बिल जरूर आना था, पर वह भी अगले सत्र के लिए टल गया। फिनटेक कंपनियों के मुताबिक, सरकार का एक सेक्शन क्रिप्टो पर बैन लगाने के पक्ष में पूरी तरह से है।  

कानूनी सलाहकार कहते हैं कि क्रिप्टो को कानूनी मुद्रा मानने का कोई सवाल ही नहीं है। क्रिप्टो पर बैन लगाना चाहिए। हालांकि इसमें पहले ही बहुत देरी हो चुकी है। नियम ऐसा हो कि कोई भी बिना मंजूरी के इससे कमाई गई रकम को बाहर न ले जा सके।  

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *