होम लोन लेते हैं तो जानिए कितने तरह के चार्ज लगते हैं, ऐसी होती है बैंकों की अलग-अलग फीस
मुंबई- जब आप होम लोन लेते हैं, तो आपको उस पर लागू कई अन्य चार्ज का भी पेमेंट करना पड़ता है। ये चार्ज सभी फाइनेंशियल संस्थानों (बैंकों, हाउसिंगग फाइनेंस कंपनियों और नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों) में अलग-अलग होते हैं। इसके अलावा, कुछ बैंक या हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां अलग से चार्ज लगा सकती हैं। जबकि अन्य संस्थान विभिन्न चार्ज को एक साथ जोड़ कर लगा सकते हैं।
कुछ चार्ज की राशि फिक्स होती है। जबकि अन्य चार्ज होम लोन राशि के प्रतिशत के रूप में चार्ज किये जाते हैं। इन चार्ज के बारे में जानना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इनसे होम लोन की कुल लागत बढ़ जाती है। यहां कुछ प्रमुख चार्ज पर एक नज़र डालते हैं जिन्हें लोन लेने वालों को चुकाना पड़ता है।
लॉग इन फीस को आवेदन चार्ज के रूप में भी जाना जाता है। यह लोन आवेदन का मूल्यांकन करने के लिए बैंक या कंपनी द्वारा लिया जाने वाला एक शुरुआती चार्ज है। इस स्तर पर लोन देने वाला यह आंकलन करता है कि आवेदन में आगे की प्रक्रिया के लिए जरूरी दस्तावेजों के साथ सभी सटीक जानकारी है या नहीं।
होम लोन देने के बाद अगर लोन लेने वाले को घर का कब्जा मिलने में देरी होती है और जब तक कि घर खरीदने वाले को घर का कब्जा नहीं मिल जाता है, तब तक बैंक प्री-EMI जैसा एक साधारण ब्याज लेता है। फिर इसके बाद EMI पेमेंट शुरू हो जाएगा।
क्रेडिट अंडरराइटिंग प्रक्रिया के दौरान एक लोन आवेदन का मूल्यांकन कई मापदंडों पर किया जाता है। इसमें KYC वेरीफिकेशन, वित्तीय मूल्यांकन (financial assessment), रोजगार सत्यापन (employment verification), घर और ऑफिस के पते का वेरीफिकेशन, क्रेडिट हिस्ट्री का मूल्यांकन आदि शामिल होता है।
उदाहरण के लिए, ICICI बैंक की वेबसाइट के अनुसार, बैंक लोन रकम का 0.50 से 2% या 1,500 रुपए, जो भी लागू होता है, GST के साथ लिया जाता है। मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु के लिए 2,000 रुपए का प्रोसेसिंग फीस होता है। LIC हाउसिंग फाइनेंस 50 लाख रुपए तक के लोन के लिए 10,000 रुपए का एक फ्लैट चार्ज लेती है। इसकी वेबसाइट के अनुसार 50 लाख रुपए से अधिक के लोन के लिए 15,000 रुपए का चार्ज लेती है। HDFC लोन अमाउंट का 0.5% प्रोसेसिंग फीस के रूप में लेती है। इसकी अधिकतम सीमा 3,000 रुपए है, जो प्रोसेसिंग फीस की अधिकतम रकम है।
एक बैंकर के लिए, यह सुनिश्चित करना सबसे महत्वपूर्ण यह होता है कि जिस प्रॉपर्टी को वे फाइनेंस करने जा रहे हैं, उसमें कोई कानूनी विवाद का पचड़ा तो नहीं है। ऐसा करने के लिए, बैंक कानूनी विशेषज्ञों को नियुक्त करते हैं, जो सभी कानूनी पहलुओं की जांच करते हैं। इस जांच में टाइटल डीड, प्रॉपर्टी ओनरशिप का इतिहास और डिप्रिसिएशन, नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC), ऑक्यूपेंसी प्रमाण पत्र आदि शामिल होता है।
जिस संपत्ति के लिए होम लोन लिया गया है, उसके फिज़िकल और मार्केट वैल्यू का आंकलन करने के लिए बैंक टेक्निकल विशेषज्ञों को नियुक्त करते हैं। ये विशेषज्ञ कई पैमाने पर संपत्ति का मूल्यांकन करते हैं। इसमें वैधानिक (statutory) अप्रूवल, लेआउट अप्रूवल, बिल्डिंग स्पेसिफिकेशन, कंस्ट्रक्शन मानदंड आदि। वे विभिन्न माध्यमों से संपत्ति का बाजार मूल्य भी निर्धारित करते हैं। इसमें जमीन की लागत और कंस्ट्रक्शन लागत भी शामिल होती है। जहां कई बैंक इस फीस को अपनी प्रोसेसिंग फीस में शामिल करते हैं, वहीं कुछ बैंक इसे अलग से चार्ज करते हैं।
फ्रैंकिंग आपके होम लोन एग्रीमेंट पर आम तौर पर एक मशीन के माध्यम से मुहर लगाने की प्रक्रिया है और यह पुष्टि करता है कि आपने आवश्यक स्टैंप चार्ज पेमेंट कर दिया है। होम लोन एग्रीमेंट की फ्रैंकिंग आमतौर पर सरकार द्वारा अधिकृत बैंकों या एजेंसियों द्वारा की जाती है। यह चार्ज कुछ राज्यों जैसे महाराष्ट्र और कर्नाटक में ही लागू है।
वैधानिक या नियामक शुल्क वो शुल्क हैं जो बैंक द्वारा होम लोन प्राप्त करने की प्रक्रिया में वैधानिक निकायों (statutory bodies) की ओर से कलेक्ट किए जाते हैं। यह ज्यादातर विभिन्न चार्जेस पर स्टैंप ड्यूटी और GST के रूप में होता है जो बैंक द्वारा कलेक्ट किया जाता है और सरकार को पेमेंट किया जाता है।
कई बैंक प्रॉपर्टी को किसी भी नुकसान जैसे आग से बचाव के लिए होम इंश्योरेंस के लिए कहते हैं। कुछ बैंक लोन लेने वालों को लोन सुरक्षा जीवन बीमा पॉलिसी का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं ताकि किसी अनहोनी की सूरत में उनके कानूनी उत्तराधिकारियों को बकाया लोन के बारे में परेशान न होना पड़े। इसलिए, यदि आप होम लोन के साथ एक बीमा पॉलिसी लेने का निर्णय लेते हैं, तो आपको बीमा प्रीमियम का पेमेंट करना होगा।