4 साल में वोडा आइडिया में सरकार बन सकती है 26% हिस्से की मालिक
मुंबई- वोडाफोन आइडिया की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। अगर कंपनी वित्तीय दिक्कतों से उबर नहीं पाई तो सरकार चार साल बाद कंपनी में 26% हिस्से की मालिक बन सकती है। तमाम कोशिशों के बावजूद, पिछले एक साल से वोडाफोन आइडिया 25 हजार करोड़ रुपए जुटाने में फेल रही।
सरकार एक ऐसे मैकेनिज़्म पर काम कर रही है जो वोडाफोन और अन्य टेलीकॉम कंपनियों को उनके बकाया पर ब्याज को इक्विटी में बदलने का विकल्प देगी। वोडाफोन आइडिया (Vi) चार साल के मोहलत के बाद यदि इक्विटी के माध्यम से एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) और स्पेक्ट्रम पेमेंट पर ब्याज का पेमेंट करने का विकल्प चुनती है, तो इस कंपनी में सरकार 26% हिस्सेदारी का मालिक बन सकती है।
ICICI सिक्योरिटीज ने कहा कि वोडा आइडिया की स्थिति अगर खराब होती है तो फिर इक्विटी के विकल्प के साथ यह सरकारी कंपनी बन सकती है। सरकार ने डिफर्ड पेमेंट पर ब्याज को इक्विटी में बदलने का विकल्प दिया है। यह ब्याज 94 अरब रुपए के करीब होगा। चार साल के अंत में इक्विटी कन्वर्जन से कर्ज की देनदारी बढ़ जाएगी। कंपनी कमजोर पड़ी तो मौजूदा शेयरधारकों की हिस्सेदारी काफी कम हो जाएगी। ऐसी स्थिति में सरकार इस टेलीकॉम कंपनी में सबसे बड़ी शेयरधारक बन सकती है।
ब्रोकरेज फर्म जेफरीज ने कहा कि चार साल की मोहलत से वोडाफोन को सालाना 250 अरब रुपए के कैश फ्लो की राहत मिलेगी। इससे लंबे समय तक कंपनी को बाजार में बने रहने में मदद मिलेगी। हमारा आंकलन यह कहता है कि अगर वोडाफोन इक्विटी के माध्यम से चार साल में 90 अरब रुपए के ब्याज का पेमेंट करने का विकल्प चुनती है तो चार साल बाद सरकार की इसमें 26% की हिस्सेदारी हो सकती है।
ICICI सिक्योरिटीज ने कहा कि नॉन कनवर्टिबल डिबेंचर (NCD) के पेमेंट के रूप में 60 अरब रुपए कंपनी को देना होगा। इसे देखते हुए वोडाफोन को टैरिफ बढ़ाना होगा। इसे अगले 12 महीनों में 120 अरब रुपए की बैंक गारंटी को भी रिन्यू करने की जरूरत होगी। निवेश में तेजी लाने और अन्य देनदारियों को पूरा करने के लिए कंपनी को डेट और इक्विटी दोनों से पैसा जुटाने की जरूरत है। टैरिफ वृद्धि के बिना ऐसा करना मुश्किल होगा।
ब्रोकरेज फर्म UBS का अनुमान है कि स्पेक्ट्रम के लिए 160 अरब और AGR के लिए 80 अरब रुपए सालाना वोडाफोन आइडिया को चुकाना होगा। ऐसे में 40-50 अरब रुपए के अतिरिक्त ब्याज को चुकाने के लिए कंपनी इसे सरकारी इक्विटी में बदल सकती है। वोडाफोन आइडिया अगर 4 साल की मोहलत लेती है तो सरकार इसे 14 हजार करोड़ रुपए की बैंक गारंटी वापस कर सकती है। इसका मतलब यह हुआ कि बैंक वोडाफोन आइडिया को भविष्य में कर्ज दे सकते हैं।
बैंक गारंटी रिटर्न होने या कैंसल होने से बैंकों के पैसे वापस मिल जाएंगे। बैंकों का वोडाफोन आइडिया पर 35 हजार करोड़ रुपए के करीब कर्ज है। उधर इक्रा ने अनुमान लगाया है कि चालू वित्त वर्ष में सरकार को टेलीकॉम से 28 हजार करोड़ रुपए का रेवेन्यू मिल सकता है। जबकि सरकार ने बजट में 54 हजार करोड़ रुपए के रेवेन्यू का अनुमान जताया था।

