हजारा समुदाय की लड़कियों के साथ जबरन शादी कर रहे तालिबानी, माता-पिता काबुल भेज रहे हैं लड़कियों को

मुंबई- अब 23 साल बाद एक बार फिर अफगानिस्तान में तालिबान हुकूमत लौट आई है। इसको लेकर हजारा लोग दहशत में हैं। कई जगहों पर उनकी बेटियों से तालिबानी लड़ाके जबरन शादी भी कर रहे हैं। इस तरह की रिपोर्ट्स आईं हैं। हालांकि अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है। जबकि कुछ इलाकों में कत्लेआम की भी खबर है। 

हजारा शिया मुसलमानों का एक समूह है जिनका दशकों से उत्पीड़न होता रहा है। अफगान आबादी के करीब 10% ये शिया मुसलमान दुनिया के सबसे उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों में शामिल हैं। अपनी धार्मिक मान्यताओं की वजह से भी वो निशाने पर रहे हैं। कट्टरपंथी सुन्नी उन्हें मुसलमान ही नहीं मानते। 

जब काबुल में तालिबान ग्लोबल मीडिया के सामने ‘शांति और सुरक्षा’ का भरोसा दे रहे थे, उसी समय बामियान से हजारा नेता अब्दुल अली मजारी की मूर्ति तोड़े जाने की खबर आई। तालिबान ने 1995 में मजारी की हत्या कर दी थी। इसी बामियान में तालिबान ने 20 साल पहले बुद्ध की प्रसिद्ध प्रतिमाओं को उड़ा दिया था। 

डॉ. सलीम जावेद पेशे से डॉक्टर हैं और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। वे स्वीडन में रहते हैं और लंबे समय से हजारा मुद्दों पर लिखते रहे हैं। सलीम जावेद कहते हैं, ‘ये मुहर्रम का महीना है जो शिया लोगों के लिए बहुत पवित्र है। वे काले झंडे लगाकर इमाम हुसैन की मौत का गम मनाते हैं। मैंने ये भी कंफर्म किया है कि कुछ इलाकों में तालिबान ने इमाम हुसैन के काले झंडे को उतारकर अपने सफेद झंडे को लगाया है। कई जगह शिया झंडे को उतारकर कुचलने की भी खबरें हैं। 

मानवाधिकार कार्यकर्ता दावा करते हैं कि तालिबान ने हजारा बहुल जिलों में लोगों का कत्ल-ए-आम किया है, जिसकी वजह से हजारा आबादी दहशत में हैं। डॉ. जावेद कहते हैं, ‘जिन हजारा लोगों के संपर्क में मैं हूं उनमें खौफ और दहशत है। जब से तालिबान ने हजारा बहुल जिलों का कब्जा लेना शुरू किया, वे लोग डरे हुए हैं। खासकर गजनी के मालिस्तान में जब तालिबानी आए तो पहले उन्होंने कहा था कि हम किसी को परेशान नहीं करेंगे, सब अच्छा होगा, लेकिन जैसे ही तालिबान ने उस जिले पर कब्जा किया उसके बाद घर-घर जाकर लोगों के पहचान पत्र देखे। 

तालिबान ने लोगों की पहचान की और पहले कहा कि अगर कोई अफगान सेना में है तो उसे बख्श दिया जाएगा, लेकिन हमें खबरें मिल रही हैं कि बाद में तालिबान ने इन लोगों का कत्ल-ए-आम किया। अफगानिस्तान के इंडिपेंडेंट ह्यूमन राइट्स कमीशन और ह्यूमन राइट्स वॉच ने भी मालिस्तान के बारे में रिपोर्ट दी है और तालिबान के आम लोगों को मारने की पुष्ट की है।’ 

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