रिजर्व बैंक ने कहा भारत जैसे बाजारों में टेक कंपनियां मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं
मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा कि भारत जैसे उभरते बाजारों में वित्तीय सेवाओं में बड़ी-बड़ी टेक कंपनियों का प्रवेश रेगुलेटर्स के लिए मुश्किलें खडी कर सकता है। रिजर्व बैंक ने एकाधिकार प्रथाओं (monopolistic practices), एंटीट्रस्ट मुद्दों, साइबर सुरक्षा जोखिमों और डेटा गोपनीयता की चुनौतियां जैसे प्रमुख चिंताओं के बारे में आगाह किया है, जो सामने आ सकती हैं।
आरबीआई ने फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में कहा कि बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं की डिजिटल फाइनेंशियल सर्विसेस की रेंज पेश करती हैं। इसमें ऑपरेशनल रिस्क, पुरानी असफलताएं, एंटीट्रस्ट के मुद्दे, साइबर सिक्योरिटी और डेटा गोपनीयता जैसे मुद्दों ने माथे पर चिंता की रेखाएं खींच दी हैं।
जब बात बड़ी कंपनियों की होती है तो दुनिया की पांच सबसे प्रमुख आईटी फर्मों का नाम लिया जाता है। इसमें गूगल, अमेजन, फेसबुक, एपल और माइक्रोसॉफ्ट के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इनमें हर एक का मार्केट कैपिटलाइजेशन 1 75 लाख करोड़ रुपए और 150 लाख करोड़ रुपए के बीच है। आरबीआई का बयान ऐसे समय में आया है जब भारत सरकार बिग टेक फर्मों, विशेष रूप से माइक्रोब्लॉगिंग ऐप ट्विटर के साथ नए नियमों को लेकर उलझी है।
अमेजन, गूगल और वॉट्सऐप भारत के रीयल-टाइम पेमेंट नेटवर्क यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) पर पार्टनर हैं। अमेजन और गूगल दोनों ने अपने पेमेंट प्लेटफॉर्म पर वित्तीय मध्यस्थ सेवाएं ( financial intermediary services) जैसे लोन और कार्ड पेमेंट को भी एनेबल किया है। आरबीआई ने फाइनेंशियल सर्विसेज में बिग टेक की भागीदारी से पैदा होने वाली संभावित चुनौतियों को तीन श्रेणियों में बांटा है।
रिजर्व बैंक ने कहा कि सबसे पहले वे व्यापार की कई अलग-अलग किस्म की गैर-वित्तीय सेवाओं का ऑफर करते हैं। इनके बारे में ठीक से कुछ पता नहीं होता है। दूसरा, उनके पास फाइनेंशियल सर्विसेज में बड़ी कंपनी बनने की क्षमता होती है। तीसरा, बिग टेक आम तौर पर नेटवर्क का फायदा उठाकर फाइनेंशियल सर्विसेज के प्रावधानों को लांघने में सक्षम होते हैं। आरबीआई ने इस बात पर जोर दिया कि फाइनेंशियल रेगुलेटर्स और ग्लोबल केंद्रीय बैंकों के लिए इन कंपनियों की निगरानी के लिए एक अंतरराष्ट्रीय मानक स्थापित करना सबसे अच्छा तरीका है।
दिलचस्प बात यह है कि रिज़र्व बैंक द्वारा रेगुलेटेड नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) नवंबर 2020 से यूपीआई को कंट्रोल कर रहा है। रिजर्व बैंक ने यूपीआई पर थर्ड पार्टी ऐप के लिए मार्केट शेयर-कैपिंग नियम पेश किया था।
उस समय एनपीसीआई ने कहा था कि यह नियम मोनोपोली और प्रतिस्पर्धा जोखिमों (competition risks) से निपटने के लिए लाया गया था।