रिलायंस होम फाइनेंस को NCD के निवेशकों को देना होगा पैसा, 19,000 हैं निवेशक
मुंबई– नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की मुंबई बेंच ने रिलायंस होम फाइनेंस को आदेश दिया है कि वह नॉन कनवर्टिबल डिबेंचर (NCD) के निवेशकों को पैसा लौटाए। इस NCD में करीबन 19 हजार निवेशकों ने पैसे लगाए थे। रिलायंस होम फाइनेंस के बांड धारकों की ट्रस्टी आईडीबीआई ट्रस्टीशिप है।
आईडीबीआई ट्रस्टीशिप ने इस मामले में NCLT से संपर्क किया है। उसने रिलायंस होम फाइनेंस से 3,500 करोड़ रुपए रिकवरी के लिए संपर्क किया है। ऐसा इसलिए क्योंकि रिलायंस होम फाइनेंस रिपेमेंट करने में फेल हो गई है। बांड धारकों ने रिलायंस होम फाइनेंस कंपनी की होल्डिंग कंपनी रिलायंस कैपिटल को भी इस मामले में पार्टी बनाया है। इस मामले में निवेशकों का कहना है कि यह ऑर्डर हमारे दावों को सही साबित करता है जो रिजोल्यूशन प्रोसेस का हिस्सा है।
रिलायंस होम फाइनेंस के बांड में निवेशकों ने 2016 नवंबर से जनवरी 2017 के बीच विभिन्न चरणों में पैसा लगाया था। क्योंकि कंपनी ने कई चरणों में बांड जारी किया था। इसके साथ ही एक अलग से रिजोल्यूशन प्रोसेस कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स के पास चालू रहेगा। इसके तहत अथम इन्वेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर बिड जीतने में सफल रही है। यह अब ट्रस्टी के पास मामला है। इसे वोटिंग के लिए लाया जाएगा।
NCLT के इस आदेश से उन रिटेल निवेशकों को पैसा मिलने का रास्ता साफ हो सकता है जिनका शेयर इस रिपेमेंट रिजोल्यूशन में है। पिछले साल जनवरी में अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कैपिटल ने शेयर बाजारों को दी गई सूचना में कहा था कि रिलायंस होम फाइनेंस के NCD का जो पेमेंट 3 जनवरी को देना था, उसमें देरी हो जाएगी। यह अनसिक्योर्ड NCD थी। दो अलग-अलग पिटीशन में बांड धारकों ने ट्रिब्यूनल से हस्तक्षेप करने की मांग की है। इसके तहत 2,850 करोड़ रुपए और 476 करोड़ रुपए मूलधन और अतिरिक्त ब्याज के रूप में देना था।
सिक्योर्ड NCD का जो मूलधन बाकी था वह कुल कर्ज की तुलना में 23% था। हालांकि इन बातों को अलग रखते हुए ट्रिब्यूनल ने अपने 20 पेज के आदेश में यह कहा कि रिलायंस होम फाइनेंस डिपॉजिट भी लेती थी। इसलिए पिटीशनर्स को रिजोल्यूशन प्रोसेस जो भी चल रहा है, उसकी जानकारी मिलनी चाहिए। 21 जून को रिलायंस होम फाइनेंस ने स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी में कहा था कि उधार देने वालों ने अथम इन्वेस्टमेंट एंड इंफ्रा को सफल बिडर के रूप में चुना गया है।
इस मामले में प्रतीक सक्सेरिया और अमेया गोखले ने आईडीबीआई ट्रस्टीशिप की ओर से वकालत की। रिलायंस होम फाइनेंस की ओर से मुल्ला एंड मुल्ला कानूनी फर्म ने वकालत की।