4.8 करोड़ बैंक अकाउंट में पैसे डूबे तो कुछ नहीं मिलेगा, 247 करोड़ खाताधारकों को मिलेगा फायदा
मुंबई– अगर बैंक में आपका खाता है और अचानक वह बैंक डूब जाता है तो आपको नियमानुसार 5 लाख की गारंटी मिलती है। पर देश में ऐसे 4.8 करोड़ बैंक अकाउंट हैं, जिनको यह गारंटी नहीं मिलती है। 247.8 करोड़ अकाउंट को यह गारंटी मिलती है। यदि आपका सहकारी बैंक में कुछ डिपॉज़िट है, तो आपको यह जांच लेना चाहिए कि क्या यह डिपाजिट इंश्योरेंस के लिए रजिस्टर्ड है या नहीं। आप इस वेबसाइट https://www.dicgc.org.in/ पर पता लगा सकते हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की सालाना रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। दरअसल किसी बैंक के फेल होने की स्थिति में आपके खातों में पड़े पैसे पर एक बीमा होता है। इसे DICGC कहते हैं। इसमें पिछले 50 सालों से 1 लाख रुपए की गारंटी दी जाती थी। पर इस साल फरवरी में जब कुछ बैंकों में गड़बड़ी पाई गई तो इसे बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दिया गया।
इसके तहत बैंक में पैसा जमा करने वाले ग्राहक को केवल DICGC द्वारा बीमा कवर मिलता है। RBI की रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2021 के अंत में बैंकों में पूरी तरह से संरक्षित खातों (protected accounts) की संख्या 247.8 करोड़ थी। यह कुल खातों की तुलना में 98.1% है। इसका मतलब यह है कि लगभग 4.8 करोड़ खातों को डिपाजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) द्वारा प्रदान किए गए जमा बीमा कवर का लाभ नहीं मिलता है। देश में कुल 252.6 करोड़ बैंक खाते हैं।
RBI की रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2021 के अंत तक बीमा के दायरे में कुल जमा (insured deposits) 76 लाख 21 हजार 258 करोड़ रुपए थी। डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर को भले ही बढ़ाकर 5 लाख रुपए कर दिया गया है, लेकिन इसमें सभी डिपॉजिट कवर नहीं किए गए हैं। हालांकि यह कवर सभी बैंकों के लिए उपलब्ध है, लेकिन उन्हें इसके लिए रजिस्ट्रेशन करना होगा और इस जमा बीमा के तहत वित्तीय सुरक्षा का लाभ लेने के लिए संबंधित बीमा प्रीमियम का भुगतान करना होगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, बैंकों का DICGC से रजिस्टर्ड नहीं होना या प्रीमियम का पेमेंट नहीं करना डिपॉजिट को कवर नहीं किए जाने का मुख्य कारण है। हालांकि, अगर आप कुल 25 लाख रुपए जमा करते हैं तो अधिकतम कवर केवल 5 लाख रुपए ही रहेगा। बाकी 20 लाख जमा करने से यह सुरक्षा नहीं मिलेगी।
वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य रूप से सहकारी और स्थानीय क्षेत्र के बैंकों में विफलता के कारण वर्ष 2020-21 के दौरान पांच सहकारी बैंकों और एक लोकल एरिया बैंक को समाप्त कर दिया गया था। बिना ऑडिट किए गए आंकड़ों के अनुसार, DICGC ने मौजूदा महामारी में जमाकर्ताओं को पेमेंट सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 2020-21 के दौरान 993 करोड़ रुपए के दावों को प्रोसेस किया है।
इन 993 करोड़ रुपए के क्लेम में 564 करोड़ रुपए के दावों का निपटारा 2020-21 के दौरान 9 सहकारी बैंकों को मिलाकर किया गया। अप्रैल 2021 में एक सहकारी बैंक के मामले में 330 करोड़ रुपए की राशि का निपटारा किया गया है। हालांकि, कॉर्पोरेशन से दावों के निपटान की दिशा में कुल फंड का आउटगो भी कम था क्योंकि 2020-21 के दौरान 568 करोड़ रुपए की वसूली हुई थी।
DICGC द्वारा प्रदान किए गए डिपाजिट इंश्योरेंस में सभी बीमित कमर्शियल बैंकों को शामिल किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, 31 मार्च, 2021 तक रजिस्टर्ड बीमित बैंकों की संख्या 2,058 थी। इसमें 139 कमर्शियल बैंक शामिल हैं जिनमें से 43 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB), 2 स्थानीय क्षेत्र बैंक, 6 पेमेंट बैंक हैं और 10 स्माल फाइनेंस बैंक हैं।
इसके अलावा 1,919 कोऑपरेटिव बैंक भी रजिस्टर्ड हैं जिनमें से 34 स्टेट कोऑपरेटिव बैंक (STCB) हैं। 347 जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (DCCB) और 1,538 अर्बन कोऑपरेटिव बैंक (UCB) हैं। इसके बावजूद ऐसे बैंकों की अच्छी खासी संख्या है जो ज्यादातर कोऑपरेटिव हैं। पर यह अपने जमाकर्ताओं को बीमा कवर प्रदान करने के लिए DICGC के साथ रजिस्टर्ड नहीं हैं।