सेबी को SAT का तगड़ा झटका, NSE के को-लोकेशन मामले में 6 हजार करोड़ पर रोक हटाई
मुंबई– शेयर बाजार रेगुलेटर सेबी को इसकी अपीलेट बॉडी सैट ने तगड़ा झटका दिया है। SATने NSE के को-लोकेशन के मामले में 6 हजार करोड़ रुपए की डिपॉजिट पर रोक हटा दी है। SAT ने कहा कि NSE इस पैसे का उपयोग कर सकता है। यह पैसा पिछले 5 सालों से पड़ा हुआ है।
सैट ने इसी हफ्ते एक ऑर्डर जारी किया। ऑर्डर में इसने एनएसी को इस पैसे का उपयोग करने की मंजूरी दे दी। यह 6 हजार करोड़ एक अकाउंट में लॉक था। यह लॉक का आदेश सेबी ने दिया था। सितंबर 2016 में सेबी ने एनएसई से कहा था कि वह को-लोकेशन के जरिए हासिल किए गए 6 हजार करोड़ रुपए के रेवेन्यू को एक अलग अकाउंट में जमा कराए। इस फंड को एनएसई को उपयोग करने पर रोक लगी थी।
31 मार्च 2021 तक यह रकम 6,085 करोड़ रुपए थी। 2019 में सेबी ने एनएसई के खिलाफ एक ऑर्डर पास किया। इसमें कहा गया कि एनएसई 625 करोड़ रुपए जमा कराए। इसके खिलाफ भी एनएसई ने सैट में अपील की है। हालांकि इस पर अभी कोई फैसला नहीं आया है। सैट ने अपनी सुनवाई में कहा कि सेबी के 2016 के आदेश में सुधार की जरूरत है। सैट ने कहा कि जब जांच पूरी हो गई है तो जो अलग से अकाउंट खोला गया था, जिसमें 6 हजार करोड़ रुपए हैं, उसे बंद किया जाना चाहिए।
सैट ने कहा कि जो भी पैसा है, उसका उपयोग एनएसई अपने बिजनेस के लिए कर सकता है। सैट ने कहा कि वह को-लोकेशन मामले में जून में सुनवाई करेगी। यह मामला 2019 से सैट में लंबित है। सैट ने मार्च 2020 में इस मामले को रिजर्व रखा था और उसके बाद कोरोना शुरू हो गया था। इसकी वजह से ट्रिब्यूनल का फंक्शन रुक गया था। सैट ने कहा कि अब इस मामले की सुनवाई 11 जून को होगी।
एनएसई को वित्त वर्ष 2021 में 4,464 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ हुआ है जो एक साल पहले की तुलना में 76 पर्सेंट ज्यादा है। एनएसई ने कहा कि सेबी ने जो पैसे अटका रखे हैं, उसकी वजह से वह डिविडेंड नहीं दे पा रहा है। यदि सैट इस पर से रोक हटाता है तो वह डिविडेंड देने के बारे में सोच सकता है। उसने कहा कि उसके पास पर्याप्त कैश नहीं है जिससे वह डिविडेंड नहीं दे पा रहा है।
वैसे सेबी को सैट का यह पहला झटका नहीं है। कई मामलों में सैट ने सेबी को जमकर लताड़ लगाई है। पर सेबी तो अब यहां तक कहता है कि सैट कोई संवैधानिक संस्था है ही नहीं। पिछले दिनों ही कार्वी और एक्सिस बैंक के मामले में सैट ने सेबी को जमकर लताड़ा था। शेयर मार्केट रेगुलेटर सेबी की हरकतों से तंग आकर इसकी अपीलेट बॉडी SAT ने सुप्रीमकोर्ट में सेबी के खिलाफ जनहित याचिका यानी PIL दायर कर दिया है। ऐसा पहली बार हो रहा है जब कोई ट्रिब्यूनल रेगुलेटर के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में PIL फाइल करे।
मामले की सुनवाई हुई तो सेबी ने इसमें कानूनी दांव खेलना शुरू कर दिया। सेबी ने एक एफिडेविट देकर कहा कि SAT के अंदर दो ज्यूडिशियल सदस्य और एक टेक्निकल सदस्य होना चाहिए। टेक्निकल सदस्य 31 मार्च को रिटायर हो गए थे। सेबी ने कहा कि जब तक टेक्निकल सदस्य नहीं होगा, हम SAT के ऑर्डर को नहीं मानेंगे। सैट ने कहा कि सदस्य की नियुक्ति करने का अधिकार सरकार का है और यह सरकार जब करेगी तब करेगी। लेकिन इससे हमारे फैसले पर कोई असर नहीं होना चाहिए। पिछले दिनों सुनवाई के दौरान सैट ने सेबी का ऑर्डर रिजेक्ट कर दिया। सैट ने सोमवार को एक 44 पेज का ऑर्डर जारी किया। इसमें उसने कहा कि वित्त मंत्रालय या तो टेक्निकल सदस्य की नियुक्ति करे या नियम बदले।
SAT ने इसी ऑर्डर में सेबी की शिकायत भी की है। सैट ने 6 मई को इस पर बहस की थी। 6 मई को सेबी ने सीधे तौर पर कहा था कि जो SAT ट्रिब्यूनल है वह कानूनी तौर पर सही गठित नहीं है। इस पर SAT ने एक लंबा चौड़ा ऑर्डर जारी कर दिया। SAT ने ऑर्डर में कहा है कि रजिस्टर्ड कापी सुप्रीमकोर्ट में भेजी जाए और इसे सेबी के खिलाफ PIL मानी जाए।