67% भारतीय हायर एजुकेशन के लिए अमेरिका को पसंद करते हैं

मुंबई-पिछले कुछ वर्षों में विदेशी विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है। विभिन्न क्षेत्रों में उन्नत शिक्षा प्राप्त करने के लिए छात्रों की प्रवृत्ति विदेशी शिक्षा की ओर रही है और इस में सबसे आगे अमेरिका है। हायर एजुकेशन के लिए अमेरिका के बाद छात्रों ने ब्रिटेन और फ्रांस को चुना है। पिछले 12 महीनों में भारतीय छात्रों के बीच विदेशों में हायर एजुकेशन के ट्रेंड्स पर प्रकाश डालने के उद्देश्य से विदेश में पोस्ट-ग्रेजुएट पढ़ाई के लिए लोन की पेशकश करने वाले एक प्रमुख क्रॉस-बॉर्डर फिनटेक प्लेटफॉर्म प्रोडिजी फाइनेंस द्वारा किए गए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है।  

विदेश में मास्टर डिग्री हासिल करने के लिए फिन-टेक प्लेटफॉर्म द्वारा फंड प्राप्त करने वाले छात्रों की कुल संख्या में से 67% ने संयुक्त राज्य अमेरिका में पढ़ाई की, इसके बाद 8%-8% छात्रों ने यूनाइटेड किंगडम और फ्रांस को चुना। पिछले वर्ष हायर एजुकेशन के लिए लोन के रूप में प्रत्येक छात्र को लगभग $40,261 (30 लाख रुपए ) वितरित किए गए। अध्ययन से यह भी पता चला है कि इंजीनियरिंग कोर्सेस के लिए नॉर्थ-ईस्टर्न यूनिवर्सिटी, अर्लिंग्टन में टेक्सास यूनिवर्सिटी, स्टीवंस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी सबसे पसंदीदा यूनिवर्सिटी थे, जबकि जॉर्ज टाउन यूनिवर्सिटी, टोरंटो यूनिवर्सिटी और रोचेस्टर यूनिवर्सिटी एमबीए कार्यक्रमों के लिए लोकप्रिय रहे हैं। 

स्टडी में आगे बताया गया है कि शीर्ष चार राज्य जहां से भारतीय छात्रों ने पिछले एक साल में विदेश यात्रा की, वे थे महाराष्ट्र (20%), कर्नाटक (15%), दिल्ली (12%) और तेलंगाना (8%)। गहराई से गोता लगाते हुए निष्कर्षों में बताया गया है कि पिछले साल विदेश यात्रा करने वाले लगभग 70% पुरुष थे और 30% महिलाएं थीं। हायर एजुकेशन के लिए विदेश यात्रा करने वाले छात्रों में गंभीर अनिश्चितता है क्योंकि पिछले साल नेशनल लॉकडाउन की वजह से अधिकांश परिवार वित्तीय संकट से गुजरे थे। यह बात अलग है कि 2019 की तुलना में 2020 में आवेदनों में 41% की वृद्धि हुई है। 

प्रोडिजी फाइनेंस के कंट्री हेड इंडिया मयंक शर्मा ने ताजा निष्कर्षों पर कहा, “वर्ष 2020 ने दुनियाभर के छात्रों, अभिभावकों और शैक्षणिक संस्थानों के लिए कई चुनौतियां पेश कीं। इसने वित्तीय बाजारों को भी शांत होने पर लिए मजबूर कर दिया, जिसने बदले में पूंजी की मात्रा को सीमित किया जिनकी आपूर्ति हम पिछले साल छात्रों को तुरंत कर सकते थे। 2021 में अंतरराष्ट्रीय सीमाएं धीरे-धीरे फिर से खुलने लगती हैं और टीकाकरण अभियान को देखते हुए अगली तिमाही में कैंपस लर्निंग को लेकर उम्मीदें बढ़ गई हैं।  

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