ONGC की हार, ईरान ने गैस फिल्ड को डेवलप करने का ठेका दूसरे को दिया,1.78 अरब डॉलर का था कांट्रैक्ट

मुंबई– ईरान ने फारस की खाड़ी में गैस फिल्ड को डेवलप करने का ठेका एक दूसरी कंपनी को दे दिया है। इससे भारतीय कंपनी ऑयल एवं नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन (ONGC) इस दौड़ से बाहर हो गई है। यह कांट्रैक्ट 1.78 अरब डॉलर का था।  

फरजाद-बी गैस फील्ड की खोज ONGC विदेश लिमिटेड ने की थी। ईरानी तेल मंत्रालय की समाचार सेवा शाना ने बताया कि नेशनल इरानियन ऑयल कंपनी (NIOC) ने फारस की खाड़ी में फरजाद बी गैस फील्ड के विकास के लिए पेट्रोपर्स ग्रुप के साथ 1.78 अरब अमेरिकी डॉलर के कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर किए हैं। तेहरान में ईरान के पेट्रोलियम मंत्री बिजन जांग्नेह की उपस्थिति में आयोजित एक समारोह में आज इस सौदे पर हस्ताक्षर किए गए।  

सरकार के मालिकाना वाली ONGC की विदेशी निवेश शाखा ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (ओवीएल) ने 2008 में फारस ऑफशोर एक्सप्लोरेशन ब्लॉक में एक विशाल गैस क्षेत्र की खोज की थी। ओवीएल और उसके पार्टनर्स ने इस खोज और डेवलपमेंट के लिए 11 अरब डॉलर तक निवेश करने की पेशकश की थी। इसे बाद में फरजाद-बी नाम दिया गया।  

वर्षों तक ओवीएल के प्रस्ताव के बाद 18 अक्टूबर 2020 को NIOC ने ओवीएल को एक ईरानी कंपनी के साथ फरजाद-बी डेवलपमेन्ट के लिए कॉन्ट्रैक्ट समाप्त करने के अपने इरादे के बारे में जानकारी दी थी, जो भारतीय फर्म की बोली से विपरीत था। 3,500 वर्ग किलोमीटर फारसी ब्लॉक फारस की खाड़ी के ईरान की ओर पर 20-90 मीटर की पानी की गहराई में है।  

ओवीएल ने 40% ऑपरेटरशिप इंटरेस्ट के साथ 25 दिसंबर, 2002 को ब्लॉक के लिए एक्सप्लोरेशन सर्विस कॉन्ट्रैक्ट (ESC) पर दस्तखत किए। अन्य पार्टनर्स में इंडियन ऑयल कॉर्प (IOC) 40% हिस्सेदारी और आयल इंडिया के पास शेष 20% हिस्सेदारी शामिल है। ओवीएल ने 18 अगस्त, 2008 को NIOC द्वारा व्यावसायिक रूप से घोषित किए गए ब्लॉक में गैस की खोज की। ESC का खोज का चरण (exploration phase) 24 जून, 2009 को समाप्त हो गया था। 

फरजाद-बी गैस फील्ड के डेवलपमेंट सर्विस कॉन्ट्रैक्ट (डीएससी) पर नवंबर 2012 तक बातचीत हुई थी, लेकिन ईरान पर कठिन शर्तों और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण इसे अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। अप्रैल 2015 में नए ईरान पेट्रोलियम कॉन्ट्रैक्ट (आईपीसी) के तहत फरज़ाद-बी गैस फील्ड विकसित करने के लिए ईरानी अधिकारियों के साथ बातचीत फिर से शुरू हुई। इस बार एनआईओसी ने बातचीत के लिए अपने प्रतिनिधि के रूप में पार्स ऑयल एंड गैस कंपनी (POGC) को पेश किया। एक नए अध्ययन से पता चला है कि एक सुधारित प्रोविजनल मास्टर डेवलपमेंट प्लान (PMDP) मार्च 2017 में POGC को सौंपा गया था। भारतीय कंसोर्टियम ने अब तक इस ब्लॉक में 40 करोड़ डॉलर का निवेश किया है।  

अब ट्रैक्टर की बिक्री भी रुकी, एस्कॉर्ट ने कहा दिखेगा कोरोना का असर 

कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर देश में ज्यादा तबाही मचा रही है। मार्च 2021 से ऑटो इंडस्ट्री एक बार फिर बैकफुट पर है। एस्कॉर्ट्स के CFO (चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर) भरत मदन ने कहा है कि महामारी से अब देश के गांवों की स्थिति लगातार बिगड़ रही है। इसकी के चलते ट्रैक्टर की बिक्री भी प्रभावित होगी। 

भरत मदन ने कहा कि कोविड-19 के पहले चरण में गांवों में कोई प्रभाव नहीं था, लेकिन इस बार यह गांवों तक फैला है। यह न केवल शहरी क्षेत्रों को प्रभावित कर रहा है बल्कि राज्यों के स्तर पर लगाए गए ‘लॉकडाउन की वजह से शोरूम और सहयोगी भागीदारों की दुकानें भी बंद हैं। निश्चित रूप से इसका सभी पर गंभीर प्रभाव होगा।” 

मुझे लगता है कि अल्पकाल में इसका असर होगा। पहली तिमाही में इसका प्रभाव निश्चित रूप से पड़ेगा, लेकिन दूसरी छमाही में पिछले साल की तरह मांग आनी चाहिए। लॉकडाउन के कारण जिस मांग पर असर पड़ा था, वह दूसरी छमाही में बाहर आई थी। बुवाई का काम अभी शुरू नहीं हुआ है और इस बार यह इतना अच्छा रहने की संभावना नहीं है, लेकिन उन्हें लगता है कि दूसरी छमाही में स्थिति बेहतर होगी। सवाल यह है कि हम कितनी जल्दी इस संकट से पार पाते हैं, टीकाकरण कितनी तेजी से होता है और लोग राहत में आते हैं। 

निर्यात के बारे में उन्होंने कहा आज हम हर महीने 500 से ज्यादा ट्रैक्टर का निर्यात कर रहे हैं। इसिलिए इस साल हम 6,000 से 7,000 इकाइयों के निर्यात की उम्मीद कर रहे हैं, जो पिछले साल 4,000 से 4,500 इकाई थी। पिछले एक साल में ऑटो इंडस्ट्री के अंदर ट्रैक्टर की एक मात्र ग्रोथ वाला सेक्टर रहा है। 

फेडरशेन ऑफ ऑटोबामेबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) के अनुसार 2020-21 में ट्रैक्टर रजिस्ट्रेशन 16.11% बढ़कर 6,44,779 इकाई रही, जो 2019-20 में 5,55,315 इकाई थी। वहीं, अप्रैल 2021 में ट्रैक्टर की 38,285 यूनिट का रजिस्ट्रेशन हुआ था। हालांकि, मार्च 2021 की तुलना में रजिस्ट्रेशन 44.58% गिर गया। मार्च 2021 में 69,082 ट्रैक्टर के रजिस्ट्रेशन हुए थे। 

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