जोमैटो ने कहा, उसका घाटे का इतिहास रहा है, उसके प्लेटफॉर्म से ग्राहकों का पासवर्ड भी चोरी होता है, 64 तरह के जोखिम हैं आईपीओ में

मुंबई– फूड डिलिवरी कंपनी जोमैटो ने आखिरकार आईपीओ की तैयारी कर ली है। उसने सेबी के पास इस संबंध में मसौदा जमा करा दिया है। पर कंपनी ने यह भी कहा है कि उसका घाटे का इतिहास रहा है। वह लगातार घाटा ही दे रही है। ऐसे में जब कंपनी ने ही यह कह दिया तो फिर निवेशकों को ऐसी घाटे वाली कंपनी में निवेश करने से पहले सोचना चाहिए।  

जोमैटो 8,250 करोड़ रुपए आईपीओ से जुटाएगी। इसमें 7,500 करोड़ रुपए का नया इश्यू होगा, 750 करोड़ रुपए ऑफर फॉर सेल होगा यानी इंफोएज का जो शेयर जोमैटो में है, वह बेचेगी। कंपनी आईपीओ से पहले 1500 करोड़ रुपए जुटा सकती है। कंपनी ने कहा कि वह 5,625 करोड़ रुपए ऑर्गेनिक और इनऑर्गेनिक ग्रोथ पर खर्च करेगी। यानी कंपनी के विस्तार पर और साथ ही दूसरी कंपनियों की खरीदी पर यह पैसे खर्च होंगे। 

वित्तीय आंकडों की बात करें तो कंपनी को दिसंबर 2019 के पहले 9 महीनों में 1,301 करोड़ रुपए की कमाई हुई थी और इस पर घाटा 682 करोड रुपए था। 2020 में 2,604 करोड़ रुपए की आय पर 2,385 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। 2019 में 1,313 करोड़ की इनकम पर 1,010 करोड़ रुपए का घाटा और 2018 में 466 करोड़ रुपए की इनकम पर 106 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। यानी कंपनी लगातार घाटा ही दे रही है। कंपनी ने कहा है कि उसके सामने यह भी जोखिम है कि  कोरोना में हेल्थ की प्राब्लम, लॉक डाउन, सोशल डिस्टेंसिंग, रेस्टारेंट बंद होने और लोगों के जागरुक होने से उसके व्यापार पर असर हो सकता है। साथ ही उसे लगातार अपग्रेड करना और फूड पर फोकस करना भी होगा। 

कंपनी के घाटे का एक बड़ा कारण सेल्स और प्रमोशन पर भारी खर्च है। आंकड़ों के मुताबिक, 2018 में इसने सेल्स और प्रमोशन पर 81 करोड़ रुपए, 2019 में 124 करोड़ रुपए, 2020 में 134 करोड़ और 2020 में 306 करोड़ रुपए खर्च किया। 2019 में तो इसने अपनी इनकम का करीबन 88 पर्सेंट हिस्सा सेल्स और प्रमोशन पर खर्च किया जबकि 2020 में 49 पर्सेंट हिस्सा खर्च किया।

कंपनी के पास 479 कर्मचारी हैं। कंपनी से कर्मचारियों को छोड़ कर जाने की संख्या बहुत ज्यादा है। 2019 में इसके 42 पर्सेंट कर्मचारी कंपनी छोड़ गए तो 2020 में 33 पर्सेंट और 2021 में 13 पर्सेंट कर्मचारी कंपनी छोड़ गए। 2020 में इसके प्लेटफॉर्म पर हर महीने 1.7 करोड़ ऑर्डर की डिलिवरी हुई। दिसंबर 2020 के पहले 9 महीनों में इसके मोबाइल एप्लीकेशन से 99 पर्सेंट से ज्यादा ऑर्डर आए। इसने 3 लाख 50 हजार रेस्टोरेंट के साथ साझेदारी की है  

कंपनी के पास न तो खुद का किचन है न ही रेस्टोरेंट है। यह होटलों से खाना लेती है और ग्राहकों को डिलिवरी करती है। कंपनी के पास खुद की कोई ऑफिस नहीं है। जोमैटो ने कहा कि 2017 में हैकर्स ने उसके प्लेटफॉर्म से ग्राहकों का डाटा चुरा लिया था जिसमें ईमेल आईडी, पासवर्ड, यूजर नेम आदि की जानकारी थी और इसे डार्कवेब पर बेचा गया।  

जोमैटो ने कहा कि लग लगातार घाटे की ही उम्मीद कर रही है। आगे चलकर उसकी लागत बढ़ेगी और इससे उसका घाटा बढ़ेगा। क्योंकि उसे निवेश भी करना है। उसने कहा कि वह ऐतिहासिक ग्रोथ की दर को आगे जारी रख पाएगा, यह वह नहीं कह सकता है। उसने कहा कि अगर उसके रेस्टोरेंट पार्टनर्स, ग्राहक या डिलिवरी पार्टनर्स नए रेस्टोरेंट को जोड़ने में फेल होते हैं या डिलिवरी पार्टनर जोड़ने में फेल होते हैं तो इसका असर उसके बिजनेस पर दिख सकता है।  

जोमैटो की शुरुआत 2008 में फूडीबे का नाम से हुई थी और 2010 में इसका नाम बदलकर जोमैटो कर दिया गया। यह 24 देशों में अपनी सेवाएं देती है। दुनिया भर के 10 हजार से अधिक शहर को कवर करती है। अगर कंपनी आईपीओ लाने में सफल होती है तो यह एसबीआई कार्ड के बाद सबसे बड़ा आईपीओ होगा। एसबीआई कार्ड ने 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम जुटाई थी। यह आईपीओ पिछले साल आया था। 

जोमैटो को जहां 1.48 अरब डॉलर की फंडिंग मिली, वहीं स्विगी को 2.27 अरब डॉलर की फंडिंग मिली। जोमैटो देश के 526 शहरों में है जबकि स्विगी 540 शहरों में है। जोमैटो का वैल्यूएशन 5.4 अरब डॉलर है तो स्विगी का 5 अरब डॉलर वैल्यूएशन है। वित्त वर्ष 2020 में जोमैटो का रेवेन्यू 2,486 करोड़ और स्विगी का 2,515 करोड़ रुपए रहा है। स्विगी और जोमैटो के 1.5 लाख लाख डिलिवरी पार्टनर हैं।    

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