वक्रांगी के शेयरों में खेल, 65 लोगों और कंपनियों पर 1.75 करोड़ रुपए का जुर्माना

मुंबई– वक्रांगी के शेयरों में जुगाड़ कर कीमतों को बढ़ाने और घटाने के मामले में रेगुलेटर सेबी ने बड़ा फैसला किया है। आज उसने कुल 65 लोगों और कंपनियों पर 1.75 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना 45 दिनों के अंदर भरना होगा।

सेबी ने आज 3 अलग-अलग ऑर्डर जारी किया है। कुल 126 पेज के ऑर्डर में सेबी ने कहा कि ब्याज के साथ जुर्माने की रकम देनी होगी। इसमें से पहले ऑर्डर में 16 लोगों और कंपनियों पर एक साथ या अलग-अलग 50 लाख रुपए, दूसरे ऑर्डर में 27 लोगों और कंपनियों पर एक साथ या अलग-अलग 75 लाख रुपए और तीसरे ऑर्डर में 22 लोगों और कंपनियों पर 50 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है।

सेबी के आदेश के मुताबिक, उसने पहले वक्रांगी के शेयरों की 1 जनवरी 2015 से 30 सितंबर 2015 के बीच जांच की। इसमें कुल 32 लोगों और कंपनियों की जांच की गई। जांच में सेबी ने पाया कि ये सभी लोग आपस में एक दूसरे से जुड़े थे। साथ ही प्रमोटर्स से भी जुड़े थे। 34 लोगों में से 2 लोग प्रमोटर्स थे। इसमें अधिकतर लोग एक ही कंपनी में डायरेक्टर थे या फिर एक ही पते को सबमिट किया था। इसी तरह इनके ईमेल आईडी भी एक ही थे। मोबाइल फोन नंबर भी एक ही थे।

सेबी ने जांच में पाया की संदिग्ध कंपनियों ने BSE पर 33.94% शेयर वक्रांगी लिमिटेड के खरीदे थे और 42.82% बेच दिए। इसी तरह से NSE पर भी इन लोगों ने खरीद फरोख्त की। इसमें यह पाया गया कि 32 में से 26 कंपनियों ने 95% शेयर खरीदी थी। इन लोगों ने 116 से लेकर 126 रुपए के औसत मूल्य पर शेयरों की खरीदी की। इन 34 में से 24 कंपनियां ऐसी रहीं जिन्होंने गुमराह करने वाले काम इस शेयर में किए।

सेबी ने मार्च 2019 में इन लोगों को नोटिस भेजा। इसी तरह दूसरे ऑर्डर में इसने 4 सितंबर 2015 से 30 जून 2016 तक जांच की थी। इसमें भी करीबन वही कंपनियां थीं, जिन्होंने पहले कारोबार किया था। इसमें कुल 110 कंपनियां या लोग थे। जांच के दौरान इसमें 73 कंपनियां एक दूसरे से जुड़ी हुई थीं। इसमें हेम सिक्योरिटीज, डिसेंट फाइनेंशियल, पीपी कैपिटल, हेम शेयर ब्रोकर्स, एवरग्रीन इंफोटेक, हेम इंश्योरेंस ब्रोकर आदि थीं। इसमें भी सेबी ने पाया कि सब एक दूसरे से जुड़े हुए थे और पहले ऑर्डर की तरह काम कर रहे थे।

सेबी ने पाया कि जांच के दौरान वक्रांगी के शेयरों में जबरदस्त तेजी और गिरावट आई। उदाहरण के तौर पर 1 सितंबर 2016 से 15 जून 2017 तक इसका मूल्य 196 से बढ़ कर 450 रुपए तक चला गया। यानी 131% की ग्रोथ रही। इसमें जो ज्यादातर लोग कारोबार कर रहे थे, वे सभी मुंबई के अंधेरी इलाके के थे। सभी एक ही इलाके में थे और एक दूसरे से जुड़े हुए थे। ये सभी एक ही कंपनी में डायरेक्टर थे।

यही नहीं, विनोद कुमार बोहरा कई कंपनियों में डायरेक्टर था जिसमें से एक कौतिक प्रॉपर्टीज भी थी। उसके केवाईसी में 25 हजार रुपए महीने की सैलरी का जिक्र था। लेकिन उसके पास जो शेयर थे, उसकी वैल्यूएशन 200 करोड़ रुपए की थी। सेबी ने इसी आधार पर सोमवार को ऑर्डर जारी किया और 1.75 करोड़ रुपए की पेनाल्टी भरने का आदेश दिया।

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