बाजार में भारी गिरावट की आशंका- पिछली साल की तरह सस्ते में मिल सकते हैं अच्छे शेयर

मुंबई– दूसरी बार का कोरोना पहली बार की तुलना में ज्यादा घातक हो सकता है। हालांकि बाजार पर वैसा असर नहीं होगा, जैसा पहली बार हुआ था। पर आशंका है कि यहां से बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स 3 से 4 हजार तक टूट सकता है। फिलहाल यह 52 हजार से करीबन 8%नीचे 47,500 पर कारोबार कर रहा है।  

बाजार में गिरावट के कई कारण हैं। पहला कारण यह है कि कोरोना की रफ्तार आगे कैसी होगी। तमाम रिपोर्ट और अनुमान कहते हैं कि देश में रोजाना कोरोना के 5 लाख मामले आ सकते हैं। यह मई के अंत या जून तक अपने टॉप पर होगा। फिलहाल कोरोना के रोजाना के मामले पहली बार 3.20 लाख को पार कर गए हैँ। 2,100 लोगों की रोजाना मौत हो रही है। जून में मौतों की संख्या बढ़ कर 3,500 रोजाना हो सकती है।  

देश के हर राज्य आंशिक तौर पर लॉकडाउन कर रहे हैं। जिस तरह से आगे कोरोना का अनुमान है, ऐसे में पूरा लॉकडाउन होना संभव है। महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे बिजनेस के नजरिये से प्रमुख शहरों ने पूरा लॉकडाउन कर दिया है। अहमदाबाद, जयपुर, बंगलुरू जैसे अन्य शहर इसी तरह के लॉकडाउन का विचार कर रहे हैं।  

दरअसल पूरा लॉकडाउन हुआ तो बाजार पर भयंकर असर होगा, जैसा कि पिछले साल हुआ था। चूंकि अभी तक लॉकडाउन को लेकर बहुत ज्यादा स्पष्टता नहीं है, इसलिए बाजार कभी-कभार ही टूट रहा है। अगर पूरी तरह से लॉकडाउन हो गया तो फिर सेंसेक्स में बहुत ज्यादा गिरावट होगी। इसके लिए मई के पहले हफ्ते का इंतजार करना होगा।  

विश्लेषक कहते हैं कि निवेशकों को गिरावट में क्वालिटी वाले शेयरों पर नजर रखनी चाहिए, लेकिन इसमें निवेश का नजरिया लंबा हो। यानी पिछली बार जो गलती निवेशकों ने की, वह नहीं करनी चाहिए। पिछली बार निवेशकों ने सस्ते में खरीदा तो जरूर, पर उसे तुरंत कुछ फायदे में ही बेच दिया था।  

गिरावट का दूसरा कारण यह है कि विदेशी निवेशक इस महीने पैसे निकाल रहे हैं। हालांकि इससे बाजार पर असर नहीं होगा। पर भारतीय निवेशक इस रुझान का पालन करते हैं। सितंबर के बाद पहली बार अप्रैल में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से पैसे निकाले हैं। सितंबर में इन्होंने 7,783 करोड़ रुपए निकाले थे, जबकि इस महीने में अब तक 7,041 करोड़ रुपए निकाले हैं।  

इस साल की बात करें तो 15 फरवरी को सेंसेक्स 52 हजार को टच किया था। आज यह 47,500 पर है। इस दौरान जिन शेयरों में भारी गिरावट आई है, उसमें क्वालिटी वाले शेयर हैं। 52 हफ्ते के हालिया टॉप की बात करें तो एचडीएफसी बैंक का शेयर 1,650 रुपए से टूट कर 1,400 रुपए पर आ गया है। बेहतरीन नतीजे के बाद इसका लक्ष्य 1800 रुपए ब्रोकरेज हाउसों रखा है। यानी इसमें यहां से अच्छा रिटर्न मिल सकता है। इसी तरह कैनरा बैंक का शेयर 174 रुपए के टॉप पर पहुंचने के बाद इस समय 130 रुपए पर है। यानी इसमें 25% की गिरावट आ चुकी है। देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) का शेयर 426 रुपए से गिर कर 330 रुपए पर आ गया है। यानी इसमें भी 25% की गिरावट है।

एचडीएफसी असेट मैनेजमेंट के शेयरों में भी इसी तरह की गिरावट रही है। यह शेयर 52 हफ्ते के ऊपरी स्तर 3,358 रुपए से गिर कर 2,800 रुपए पर आ गया है। जबकि टाटा कंसलटेंसी सर्विसेस यानी TCS का शेयर 3,358 रुपए से गिर कर 3,175 रुपए पर आ गया है। पिछले 1 साल में इन दोनों शेयरों ने बेहतरीन फायदा निवेशकों को दिया है। ICICI बैंक का शेयर 679 रुपए से गिर कर 574 रुपए पर आ गया है तो बैंक ऑफ बड़ौदा का शेयर 99.80 से गिर कर 63 रुपए पर आ गया है। यानी इन शेयरों में हालिया 52 हफ्ते के टॉप से भारी गिरावट आई है।   

तमाम रेटिंग एजेंसियों ने कोरोना की वजह से भारत की विकास दर को भी घटा दिया है। गुरुवार को क्रेडिट सुइस ने कहा कि भारतीय बाजार में भारी गिरावट का हम अनुमान लगा रहे हैं। ऐसा इसलिए, एक तो कोरोना और दूसरा मुनाफा वसूली है। आने वाले हफ्ते में भी मुनाफा वसूली हो सकती है। हालांकि इसने निवेशकों को बाजार से दूर नहीं जाने की सलाह दी है और गिरावट में खरीदने की सलाह दी है। 6 से 9 महीने के नजरिए से शेयरों को खरीदना चाहिए। 

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