दिल्ली, लखनऊ, रांची, अहमदाबाद जैसे श्मशानों में जगह नहीं, 3-3 शिफ्ट में जल रही हैं लाशें, एक साथ 15-15 लाशों का अंतिम संस्कार

मुंबई– कोरोना की दूसरी लहर में देश के कई राज्यों में हालात इतने भयानक हो गए हैं कि श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों में जगह कम पड़ रही है। अस्पतालों में बेड खाली नहीं, ऑक्सीजन और रेमडेसिविर इंजेक्शन का संकट बना हुआ। ऑक्सीजन की कमी और बेहतर इलाज न मिल पाने के कारण कई राज्यों में मौतों का आंकड़ा बढ़ गया है। ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए कोरोना मरीज के परिजन इधर-उधर भटक रहे हैं।

गुजरात में सूरत अहमदाबाद, राजकोट और वडोदरा जैसे शहरों में रोजाना करीब 600 शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। इसमें करीब 96 हजार किलो लकड़ी का प्रयोग हो रहा है। 15 दिन में 14.40 लाख किलो लकड़ी से चिताएं जलाई गईं हैं। मध्य प्रदेश के अस्पतालों में 100 टन ऑक्सीजन की रोजाना मांग हो रही है, लेकिन उन्हें करीब 70 टन ऑक्सीजन की सप्लाई ही हो पा रही है।

हरियाणा में रोहतक के श्मशान घाट में दो शिफ्ट में अंतिम संस्कार किया जाने लगा है। यहां PGI में पहली बार एक दिन में 8 लोगों की मौत हुई। कोविड-प्रोटोकॉल से संस्कार के लिए एंबुलेंस में 4-4 शव ले जाए गए। जगह कम पड़ने पर 2 शिफ्टों में इनका संस्कार किया गया। 4 शवों के अंतिम संस्कार के मात्र 4 घंटे बाद ही चिता को पानी छिड़ककर ठंडा किया, ताकि बाकी शवों के संस्कार की तैयारी की जा सके।

छत्तीसगढ़ के रायपुर में महादेव घाट के श्मशान में शवों को जलाने के लिए प्लेटफार्म पर जगह नहीं रही, इसलिए शवों का नीचे ही अंतिम संस्कार किया गया। पिछले तीन दिनों में यहां 20 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार जा चुका है। झारखंड के रांची में रोजाना 20 से अधिक कोरोना संक्रमित शव जलाए जा रहे हैं। हालात ये हैं कि यहां शव आने से पहले चिताएं तैयार की जा रही हैं। शहर के श्मशान घाट और कब्रिस्तानों में दाह संस्कार के लिए शव की लाइन लगी है। इससे घाघरा श्मशान घाट पर 22 कोरोना संक्रमित शवों का सामूहिक रूप से अंतिम संस्कार किया गया।

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