कोरोना का मामला बढ़ने से आर्थिक स्थिति को फिर लगेगा झटका

मुंबई– पिछले महीने यानी फरवरी में देश में कंजम्पशन डिमांड और कारोबारी गतिविधियां पटरी पर लौट आई थीं। बीते पांच महीने से देश में कारोबारी गतिविधियों में लगातार सुधार हो रहा था। लेकिन कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों और राज्यों में लॉकडाउन जैसे प्रतिबंधों का जोखिम बढ़ने से मजबूत रिकवरी को लेकर संशय पैदा हो गया है। 

फरवरी में जब कोविड-19 संक्रमण के कम मामले सामने आ रहे थे, तब इकोनॉमी में मजबूती दिख रही थी। हालांकि, बीते कुछ हफ्तों में हालात बदल गए हैं और यह ट्रेंड उल्टा हो गया है। स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन की घटनाएं बढ़ गई हैं। इससे कंज्यूमर मोबिलिटी और इकोनॉमी में डिमांड प्रभावित हो सकती है। ग्रॉस डॉमेस्टिक प्रोडक्ट यानी जीडीपी में कंजम्पशन की करीब 60% हिस्सेदारी है। 

कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण के बावजूद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत का कहना है कि इसका कारोबारी गतिविधियों पर तुरंत असर पड़ने की संभावना नहीं है। हालांकि, इकोनॉमिस्ट का मानना है कि महाराष्ट्र में तेजी से बढ़ते संक्रमण के कारण इकोनॉमिक रिकवरी पर ब्रेक लगेगा। इसका कारण यह है कि देश की कुल जीडीपी में महाराष्ट्र का 14.5% योगदान है। यह राज्य कोविड-19 संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित है और नए मामले भी महाराष्ट्र से ज्यादा आ रहे हैं। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में संक्रमण को रोकने के लिए नाइट कर्फ्यू जैसे प्रतिबंध भी लगाए गए हैं। 

देश की कारोबारी गतिविधियों में फरवरी में सर्विस सेक्टर में सबसे ज्यादा सुधार रहा है। नए ऑर्डर बढ़ने और वैक्सीन के कारण बेहतर भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए यह सुधार हुआ है। फरवरी में आईएचएस मार्किट सर्विसेज का पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) भी 55.3 पॉइंट रहा है। इसका 50 पॉइंट से ज्यादा रहने कारोबारी गतिविधियों में सुधार का सूचक है। इससे पहले आए एक सर्वे में भी कहा गया था कि देश में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का विस्तार हो रहा है। 

फरवरी महीने में निर्यात में भी वार्षिक आधार पर 0.7% की बढ़ोतरी रही है। हालांकि, यह जनवरी की 6.2% ग्रोथ के मुकाबले कम थी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि फरवरी में आयात में भी 7% का इजाफा हुआ है। इसमें नॉन-ऑयल और नॉन-गोल्ड उत्पादों का आयात बढ़ा है। यह देश में बढ़ती घरेलू डिमांड का संकेत देता है। 

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