बीमा की शिकायतें ऑन लाइन कीजिए, शिकायतों को ऑन लाइन ट्रैक कर सकते हैं

मुंबई– आप अगर बीमा पॉलिसी लिए हैं तो आपके लिए यह खबर महत्वपूर्ण है। आप अब बीमा कंपनी से संबंधित शिकायतों को ऑन लाइन दर्ज करा सकते हैं। साथ ही ऑन लाइन अपनी शिकायतों की स्थिति को ट्रैक कर सकते हैं।  

वित्त मंत्रालय ने इस संबंध में एक नोटिस जारी किया है। उसने कहा है कि नियमों में बदलाव किया गया है। इसके तहत बीमा कंपनियों को कंपलेंट मैनेजमेंट सिस्टम बनाना होगा, ताकि पॉलिसी धारक अपनी शिकायतों की स्थिति को ऑन लाइन ट्रैक कर सकें।  

इसके पीछे उद्देश्य यह है कि बीमा सेवाओं में कमियों के संबंध में शिकायतों को तुरंत सुना जाए। इसीलिए बीमा लोकपाल नियमों (Insurance Ombudsman Rules) में बदलाव किया गया है। नए नियम के तहत बीमा कंपनी और पॉलिसी धारक के बीच विवादों से लेकर बीमा कंपनी, एजेंटों और अन्य बिचौलियों की ओर से सेवा में कमियों तक की शिकायत की जा सकती है। 

नए नियमों के तहत, इंश्योरेंस ओंबुड्समैन काउंसिल बीमा कंपनियों की एक्जिक्युटिव काउंसिल का कार्य संभालेगी। इस नए नियम से बीमा ब्रोकर्स भी लोकपाल के दायरे में आ जाएंगे। नियमों में यह बदलाव एक संसदीय पैनल द्वारा पिछले साल इसका संकेत दिए जाने के बाद किया गया है। संसदीय पैनल ने कहा था कि बीमा लोकपाल के रूप में विवाद और शिकायत सुलझाने के सिस्टम में बदलाव की आवश्यकता है। 

नए नियमों के तहत बीमा पॉलिसियों को खरीदने वालों के लिए समय की बचत होगी। पॉलिसीधारक अब लोकपाल के पास डिजिटल रूप से शिकायत दर्ज कर सकते हैं। साथ ही इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के जरिए वे अपनी शिकायतों की स्थिति को ऑनलाइन ट्रैक कर सकेंगे।  

विवाद में ओम्बुड्समैन सुनवाई के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग सुविधा का इस्तेमाल कर सकते हैं। अधिकारी ने कहा कि नए नियम में लोकपाल की चयन प्रक्रिया की स्वतंत्रता को सुरक्षित करना भी सुनिश्चित करेंगे। ओम्बुड्समैन के लिए चयन समिति में अब ग्राहक अधिकारों को बढ़ावा देने या बीमा सेक्टर में ग्राहक सुरक्षा को आगे बढ़ाने के ट्रैक रिकॉर्ड वाले व्यक्ति को शामिल किया जाएगा। एक बीमा अधिकारी ने कहा कि नए नियम में जो भी परिवर्तन हैं, वह पॉलिसी धारकों के लिए अच्छी बात है।  

अनुमान के मुताबिक, 17 बीमा लोकपाल केंद्रों पर बड़ी संख्या में लंबित मामले थे। बीमा कंपनियों के खिलाफ शिकायतों के समय पर निपटान में बाधा इसलिए आ रही थी क्योंकि कर्मचारियों की संख्या कम थी। पैनल ने सिफारिश की थी कि विभाग तीन महीने के भीतर रिव्यू पूरा कर कानून में बदलाव करे। बीमा लोकपाल की नियुक्ति और नीतियों को बनाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाली एक्जिक्युटिव काउंसिल के 9 सदस्यों में से 7 बीमा उद्योग से हैं।  

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