फूड पर डेढ़ महीने में सरकार देगी 2.97 लाख करोड़ रुपए की सब्सिडी

मुंबई– सरकार फूड पर सब्सिडी के लिए बड़ा खजाना खोल रही है। अगले डेढ़ महीनों में 2.97 लाख करोड़ रुपए की सब्सिडी फूड पर दी जाएगी। इस वित्त वर्ष के अंत यानी मार्च 31 तक यह सब्सिडी दी जाएगी।  

जानकारी के मुताबिक सरकार इस सब्सिडी के जरिए पिछले सभी बकाए को खत्म करना चाहती है। खाद्य मंत्रालय ने कहा कि इसी के साथ पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों को अनिवार्य रूप से इलेक्ट्रॉनिक मोड के जरिए ही फसलों की कम से कम कीमत (MSP) किसानों को देना होगा। 

खाद्य मंत्रालय ने कहा है कि इलेक्ट्रॉनिक तरीके से MSP को ट्रांसफर करने के पीछे यह कारण है ताकि इससे गलत खातों में पैसे न जाएं और किसानों को पैसे मिलने में देरी ना हो। नया सिस्टम फसलों के प्रोक्योरमेंट के अभी के प्रैक्टिस को खत्म नहीं करेगा। यानी मंडियां बनी रहेंगी।  

सरकार नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत फूड पर भारी सब्सिडी देती है। यानी वह जिन अनाजों को बेचती है उसे किसानों से महंगी कीमत पर लेती है और कम कीमत पर लोगों को देती है। इस कानून के तहत केंद्र सरकार 5 किलो गेहूं और चावल हर महीने 80 करोड़ लोगों को देती है। यह अनाज 2 से 3 रुपए किलो पर दिया जाता है। 

सरकार ने इस साल में 1 लाख 25 हजार 217 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी है। जबकि मार्च अंत तक 2 लाख 97 हजार 196 करोड़ रुपए की सब्सिडी और दी जाएगी। इसमें से 1.16 लाख करोड़ रुपए पब्लिक फाइनेंशियल मॉड्यूल सिस्टम में दिया जाएगा। यह पंजाब की ओर दिया जाएगा। जबकि 24 हजार 841 करोड़ रुपए हरियाणा की ओर दिया जाएगा। 

हाल में पेश बजट के पेपर के मुताबिक, फूड सब्सिडी बढ़ कर 4 लाख 22 हजार 618 करोड़ रुपए हो गई है। यह 2020-21 के लिए बदला गया अनुमान है। केंद्र सरकार ने गरीब प्रवासी मजदूरों को इसके अलावा मुफ्त में राशन दिया है। यह कोरोना के दौरान दिया गया था। इसी वजह से सरकार की सब्सिडी बढ़ गई। अगले वित्त वर्ष के लिए 2 लाख 42 हजार 836 करोड़ रुपए की फूड सब्सिडी देने का अनुमान है।  

सरकार ने कहा है कि वह पंजाब, हरियाणा में आढ़तियों यानी बिचौलियों को खत्म करने की कोई योजना नहीं बनाई है। ना ही इस तरह का कोई आदेश मंडियों को दिया गया है। सरकार ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट से यह सुनिश्चित होगा कि किसान, आढ़तिये और मंडी अपने पेमेंट डायरेक्ट लें और साथ ही पारदर्शिता भी बनी रहे। इसके जरिए वर्तमान के APMC बाजार को बदलने की कोई मंशा नहीं है।  

देश में पहले से ही MSP देने के लिए इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट का उपयोग किया जा रहा है। सरकार इसे पंजाब और हरियाणा में 2015-16 से लागू करने की कोशिश कर रही है। केंद्र सरकार लगातार इन दोनों राज्यों से बात कर रही है। पर इन दोनों राज्यों की सरकारें अभी भी डायरेक्ट ऑन लाइन पेमेंट के लिए समय मांग रही हैं। सरकार ने अब कह दिया है कि अगले सीजन से इसके समय में कोई ढील नहीं दी जाएगी। बता दें कि पंजाब और हरियाणा के किसान इस समय सरकार के तीन नियमों का विरोध कर रहे हैं। पंजाब और हरियाणा में अभी तक आढ़तियों के जरिए पेमेंट होता है।  

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