RIL छुपा रही है जानकारी, निवेशकों को कारोबार में तेजी का है इंतजार

मुंबई– देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने हाल के दिनों में अपनी घोषणाओं में काफी जानकारियों को छुपाया है। हालांकि इसमें कोई कानूनी अपराध नहीं है, पर निवेशकों के लिए यह खास मायने रखता है। क्योंकि इन्हीं जानकारियों के आधार पर निवेशक कंपनी के वैल्यूएशन, कारोबार, ग्रोथ आदि को देखते हैं और निवेश करते हैं।   

कुछ विश्लेषकों का कहना है कि RIL को ट्रांसपरेंट (पारदर्शी) प्रैक्टिस के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखानी चाहिए। क्योंकि अब निवेशक भारत की इस सबसे कीमती प्राइवेट सेक्टर की कंपनी में अधिक दिलचस्पी दिखा रहे हैं। गौरतलब है कि RIL ने हाल की तिमाहियों में कुछ जानकारियों का खुलासा करना बंद कर दिया है। ढेर सारे विश्लेषक इससे हैरान हैं। 

RIL ने जिन प्रमुख जानकारियों का खुलासा नहीं किया है उसमें पिछली कुछ तिमाहियों में जियो मार्ट पर खर्च, जियो प्लेटफॉर्म्स लिमिटेड (JPL) से इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट को पेमेंट प्रमुख हैं। सेगमेंट लेवल पर रिटेल रेवेन्यू और ब्याज देने से पहले की कमाई का भी खुलासा नहीं किया गया है। निवेश और ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन (GRM) पर भी कंपनी ने कोई खुलासा नहीं किया है। 

जेपी मॉर्गन ने 3 फरवरी को एक नोट में कहा कि निवेशक RIL के बिजनेस की ग्रोथ को मापने के लिए जियोमार्ट और JPL में ज्यादा से ज्यादा खुलासे चाहेंगे। अमेरिका और यूरोप के ज्यादातर डिजिटल निवेशक JioMart और JPL के डिजिटल क्षेत्र में RIL की लंबे समय की डिजिटल स्टोरी को बेहतरीन देखते हैं। यहां तक कि वे यह भी स्वीकार करते हैं कि इन बिजनेस में अगले 12-18 महीनों में आगे देखने के लिए बहुत कम मौके बचे हैं। 

जियो प्लेटफॉर्म्स के पास जियो इंफोकॉम लिमिटेड सहित RIL की डिजिटल बिजनेस असेट्स हैं। RIL ने मार्च 2020 में समाप्त फाइनेंशियल वर्ष में 6 लाख 59 हजार 205 करोड़ रुपए के कारोबार का खुलासा किया था। 39 हजार 880 करोड़ रुपए का उसे फायदा हुआ था। यह पेट्रोलियम रिफाइनिंग और मार्केटिंग, रिटेल और डिजिटल सेवाओं के कारोबार में शामिल है। 

पिछले महीने तीसरी तिमाही की अर्निंग रिपोर्ट में RIL ने पहली बार GRM का खुलासा नहीं किया। यह इसके रिफाइनिंग बिजनेस का आंकलन करने के लिए एक अहम पैमाना है। प्रोसेस्ड तेल के हर बैरल पर जो मार्जिन मिलता है, उसे GRM कहते हैं। RIL ने कहा कि इसके रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल्स बिजनेस को ऑयल टू केमिकल्स (O2C) में मिलाया गया है। विश्लेषक कंपनी के इस फैसले से हैरान हैं।  

एडलवाइस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ट्रांसपरेंसी का लेवल सभी बिजनेस में में गिरा है। RIL ने जीआरएम जैसे अहम पैरामीटर की पूरी तरह से रिपोर्टिंग बंद कर दी है। एडलवाइस ने एक रिपोर्ट में कहा कि इसी तरह इसने रिटेल का टर्नओवर ब्रेकडाउन देना बंद कर दिया है। 

बीएनपी पारिबा ने कहा कि रिपोर्टिंग में बदलाव से O2C प्रदर्शन की तुलना नहीं की जा सकती है। जिससे निवेशकों को आकर्षित करने में काफी परेशानी होती है। हम एक छोटे लेवल पर एक बिजनेस का विश्लेषण करने में सक्षम नहीं हैं। क्योंकि RIL ने अपने पूरे O2C ऑपरेशंस को एक दूसरे के साथ क्लब करना शुरू कर दिया है।  

RIL ने अब अपनी बिजनेस की रणनीति को बदल दी है। पहले यह ग्रोथ के लिए अपने रिफाइनिंग और मार्केटिंग के साथ पेट्रोकेमिकल्स बिजनेस पर भरोसा कर रही थी। अब यह अपने कंज्यूमर बिजनेस, टेलीकॉम और रिटेल बिजनेस को आगे बढ़ा रहा है। एक विश्लेषक ने कहा कि खुलासे की कमी से हमें लगता है कि संकट के दौरान RIL के कारोबार काफी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। मुझे लगता है कि कंपनी का कारोबार जब एक बार फिर से रफ्तार पकड़ेगा तो यह सारी सूचनाएं देना शुरू कर देगी।  

बता दें कि रिलायंस ने जियो टेलीकॉम और रिटेल में हिस्सेदारी बेच कर 1.99 लाख करोड़ रुपए जुटाया था। इसमें से 47 हजार करोड़ रिटेल का हिस्सा था। नवंबर में आखिरी बार हिस्सेदारी रिटेल में बिकी थी। सितंबर में इसका शेयर 2367 रुपए तक गया था। उसके बाद इसका शेयर 1800 से 2000 रुपए के बीच में है। यानी निवेशकों ने जिस विश्वास और उम्मीद के साथ निवेश किया था, वह अभी भी इसके शेयर में नहीं दिख रहा है। ऐसे में आने वाले समय में कंपनी को यह बताना होगा कि वह ऐसा क्या कर रही है जिस पर निवेशकों का विश्वास बना रहे और उनके निवेश पर वह उन्हें कुछ रिटर्न दे पाए।  

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