टैक्स, हेल्थ और हेल्थ इंश्योरेंस के साथ होम लोन पर सरकार करेगी बजट में फोकस
मुंबई– आयकर स्लैब में बदलाव, लीव ट्रैवल कंशेसन स्कीम का विस्तार, स्वास्थ्य बीमा और होम लोन भुगतान के लिए बढ़ी हुई छूट व्यक्तिगत करदाताओं को राहत प्रदान करने जैसी कई और मांगे हैं जो आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए और लोगों को अधिक खर्च करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए जरूरी हैं और जिन पर प्रस्तावित बजट में विचार किया जा रहा है।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘ इस आशय के प्रस्तावों पर विचार विमर्श किया जा रहा है। डायरेक्ट टैक्स टास्क फोर्स ने एक टेम्पलेट प्रदान किया है, उन सुझावों में से कुछ पर गौर किया जा रहा है। इन उपायों के कारण होने वाला रेवेन्यू लॉस और अर्थव्यवस्था को मिलने वाले लाभों को सीधे बुनियादी ढांचे या स्वास्थ्य देखभाल की फंडिंग के लिए राशि का उपयोग करने से लेकर आर्थिक जोर के खिलाफ संतुलित लाभों पर विचार करने के बाद अंतिम फैसला लिया जाएगा। बजट की घोषणा 1 फरवरी को की जाएगी।
आयकर कानून की समीक्षा के लिए सरकार द्वारा गठित डायरेक्ट टैक्स टास्क फोर्स ने अपनी अगस्त 2019 की रिपोर्ट में स्लैब को काफी बढ़ाने का सुझाव दिया था। इसने 10 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर 10% आयकर और 10-20 लाख रुपये की आय वाले लोगों के लिए 20%, 20 लाख रुपये और 2 करोड़ रुपये तक की आय के लिए 30% और 2 करोड़ रुपये से अधिक आय के लिए 35% की दर की सिफारिश की थी। वर्तमान में, सबसे ज्यादा 30% की दर से टैक्स 10 लाख रुपये से अधिक सभी आय पर लागू होती है।
अधिकारी ने कहा कि अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने की जरूरत है, जिसमें तेज बदलाव दिखा है, और इसी के जरिये उच्च दर से विकास के रास्ते पर लौटा जा सकता है। लोगों ने महामारी के चलते उनकी आय खो दी है और तर्क यह है कि आयकर स्लैब में परिवर्तन के माध्यम से किसी भी राहत से न सिर्फ बुरे प्रभाव का असर कम करने में मदद मिलेगी बल्कि खपत को भी प्रोत्साहित किया जाएगा, जो बदले में ग्रोथ को बढ़ावा देगा।
अधिकारी ने कहा, “यह महसूस किया जाता है कि महामारी के दौरान तत्काल राहत देने रोक लिए गए डिमांड पुश को प्रदान करने का समय आ गया है। सरकार ने अब तक कोविड से प्रभावितअर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए आपूर्ति-पक्ष उपायों (supply-side measures) पर ध्यान केंद्रित किया है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) चालू वित्त वर्ष में 7.7% सिकुड़ने की उम्मीद है, लेकिन अगले साल जोरदार वापस उछाल आने की भी संभावना है।
लक्षित (targeted) राहत उपाय जो खर्च को भी प्रोत्साहित करते हैं, जैसे कि लीव ट्रेवल कंसेशन योजना का विस्तार करना और इसे निजी क्षेत्र के लिए और अधिक आकर्षक बनाने पर भी चर्चा की गई है। जैसा कि हाउसिंग सेक्टर के लिए लाभ में वृद्धि हुई है, जिसमें इंटरेस्ट और प्रिंसिपल पेमेंट पर कर छूट शामिल है। वर्तमान योजना के तहत, एक व्यक्ति को लीव ट्रैवेल बेनिफिट का दावा करने के लिए गुड्स पर तीन गुना राशि खर्च करनी पड़ती है, जिसे कुछ ज्यादा ही देखा जाता है। होम लोन छूट ब्याज भुगतान के लिए 2 लाख रुपये फिक्स कर दी गई है।
2.5 लाख रुपये तक की वार्षिक आय को टैक्स से छूट दी गई है। 2.5-5 लाख रुपये की आय पर 5% और 5-10 लाख रुपये की आय पर 20% की दर से टैक्स लगता है जबकि 10 लाख रुपये और उससे अधिक पर 30% टैक्स का भुगतान करना पड़ता है। अधिक आय भी अतिरिक्त सरचार्ज भी देना पड़ता है। छूट सीमा (exemption limit) में वृद्धि भी खपत से जुड़े प्रोत्साहनों के साथ-साथ जिन विकल्पों पर चर्चा की गई है, उनमें से एक है।
पिछले बजट में पेश किए गए छूट मुक्त विकल्प (exemption-free option) में 2.5 लाख रुपये और 5 लाख रुपये के बीच आय पर 5% कर, 5-7.5 लाख रुपये पर 10% और 7.5-10 लाख रुपये पर 15% कर लगाया गया है। 10 लाख रुपये से अधिक और 12.5 लाख रुपये तक की आय पर 20% और 12.5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक 25% पर कर लगाया जाता है। 15 लाख रुपये से अधिक आय पर 30% टैक्स देना पड़ता है।
इसके लिए चुनने वाले व्यक्तियों द्वारा विभिन्न छूटें और कटौती को छोड़ना पड़ता है, जिनमें 50,000 रुपये का स्टैण्डर्ड डिडक्शन, भुगतान किए गए किराए के लिए हाउस रेंट अलाउंस छूट, होम लोन प ब्याज के लिए डिडक्शन और सेक्शन 80-सी, 80-सीसीडी, 80-डी के तहत कर बचत निवेश की कटौती शामिल है। टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि सरकार को एक्सेप्मशन फ्री सिस्टम बनाने पर ध्यान देना चाहिए। सरकार करदाताओं को नए टैक्स स्लैब औऱ रेट्स का विकल्प चुनने की अनुमति देने पर विचार कर सकती है.