देश की अर्थव्यवस्था इस साल शून्य से भी 7.7% से नीचे रह सकती है

मुंबई– वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था शून्य से भी 7.7% नीचे रह सकती है। इसकी सबसे बड़ी वजह है- कोरोना के चलते आर्थिक गतिविधियों में आई गिरावट। 1979-80 के बाद पहली बार किसी साल ग्रोथ रेट निगेटिव रहेगी। 1979-80 में ग्रोथ रेट -5.2% थी। 

पिछले साल देश की ग्रोथ रेट 4.2% रही थी, लेकिन पहली तिमाही में ग्रोथ -23.9% पर आ गई थी। दूसरी तिमाही में हालत बेहतर हुई और गिरावट -7.5% रह गई। इन आंकड़ों की अहमियत इस लिहाज से है कि अगला बजट इन्हीं आंकड़ों पर आधारित होगा। 

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय यानी NSO की तरफ से जारी 2020-21 के पहले एडवांस अनुमान के मुताबिक, अर्थव्यवस्था के सभी सेक्टर की ग्रोथ निगेटिव है। सिर्फ कृषि ऐसा क्षेत्र रहा है, जिसने मौजूदा वित्त वर्ष में GDP को संभालने में अच्छा योगदान किया है। कृषि क्षेत्र की ग्रोथ रेट इस साल 3.4% रह सकती है। हालांकि, पिछले वित्त वर्ष में इसकी ग्रोथ 4% रही थी।

NSO के मुताबिक, 2020-21 में कंस्ट्रक्शन सेक्टर का साइज 12.6% घट सकता है। ट्रेड, होटल, ट्रांसपोर्ट, कम्युनिकेशन के आकार में 21% की कमी आ सकती है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का साइज 9.4% घट सकता है। पूरे सर्विस सेक्टर में 8.8% गिरावट का अंदेशा है। 

अनुमान के मुताबिक, ग्रॉस ऐडेड वैल्यू (GVA) में 7.2% की गिरावट आ सकती है। GVA बताती है कि किसी सेक्टर की इकनॉमिक एक्टिविटी से GDP में कितना योगदान हुआ है। सरकार ने नॉमिनल GDP में 4.2% की कमी आने का अनुमान दिया है। वह सालाना बजट नॉमिनल GDP के हिसाब से बनाती है। नॉमिनल GDP में से महंगाई दर को घटा कर वास्तविक GDP का आंकड़ा निकाला जाता है। 

अर्थव्यवस्था को लेकर सरकार का एडवांस अनुमान रिजर्व बैंक के दिसंबर वाले पॉलिसी रिव्यू के अनुमानों के मुताबिक है। रिजर्व बैंक ने GDP में 7.9% गिरावट का अंदेशा जताया था। NSO ने GDP का पहला एडवांस्ड एस्टिमेट शुरुआती छह-सात महीने के आंशिक आंकड़ों पर दिया है। अर्थव्यवस्था की असल तस्वीर आने वाले समय में इसमें होने वाले संशोधनों में दिखेगी। 

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