दिसंबर में 6 करोड़ से ज्यादा GST- e-invoice बने, नवंबर में 5.89 करोड़ बना था
मुंबई– वस्तु एवं सेवा कर (GST) के मोर्चे पर एक बार फिर खुशखबरी है। दिसंबर में कुल 6.03 करोड़ जीएसटी ई इनवाइस (GST e-invoice) बने थे। जबकि नवंबर में 5.89 GST-e-invoice बना था। दिसंबर में अब तक सबसे ज्यादा जीएसटी का कलेक्शन भी हुआ था। यह 1.15 लाख करोड़ रुपए था।
बता दें कि जिन बिजनेस हाउस का टर्नओवर 500 करोड़ रुपए से ज्यादा है, उनके लिए इलेक्ट्रॉनिक इनवॉइस या ई-इनवॉइस बनाना जरूरी है। यह इनवॉइस B2B (बिजनेस टू बिजनेस) लेन देन के लिए बनाया जाता है। यह एक अक्टूबर 2020 से लागू किया गया है।
सूचना एवं प्रौद्योगिकी (IT) मंत्रालय की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, जीएसटी सिस्टम में यह एक गेम चेंजर के रूप में साबित हुआ है। 3 महीने में ही इसने लेन-देन को आसान बना दिया है। इससे टैक्स देने वाले इस नए प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहे हैं। पिछले तीन महीनों में ई-इनवाइस सिस्टम से करीबन 37 हजार टैक्स देने वालों ने 16.80 करोड़ इनवॉइस रेफरेंस नंबर जनरेट किया है।
अक्टूबर में कुल 4.95 करोड़ ई-इनवॉइस जारी किया गया था। बाद में नवंबर में यह बढ़कर 5.89 करोड़ हो गया। दिसंबर में यह 6.03 करोड़ हो गया है। ई-वे बिल जनरेशन नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) से डेवलप किया जाता है। एनआईसी हेल्प डेस्क से इस संबंध में किसी गलती पर टैक्स देने वालों को मदद मिलती है। इसे ईमेल या टेलोफोन कॉल से पूरा किया जा सकता है।
सरकार ने एक जनवरी 2021 से IRN के जनरेशन के लिए 100 करोड़ रुपए सालाना का टर्नओवर का नियम बनाया है। NIC ने इसके लिए पहले ही एपीआई और ऑफलाइन टूल बनाया है। NIC पोर्टल पर बड़े टैक्स देने वाले शामिल होते हैं जिनका टर्नओवर 500 करोड़ रुपए है। यह अपने सप्लायर्स के डायरेक्ट एपीआई को एक्सेस करते हैं। छोटे टैक्स देने वालों को ध्यान में रखते हुए एनआईसी ने ऑफ लाइन एक्सेल आधारित IRN को तैयार किया है। इसे NIC GePP का नाम दिया गया है।
इस एप्लीकेशन से टैक्स देने वाले अपने बिलों की पूरी जानकारी को दे सकते हैं। साथ ही अपने फाइल को एनआईसी आईआरएन पोर्टल पर अपलोड कर सकते हैं। इसके लिए IRN QR कोड को डाउनलोड करना होता है।