बुरे फंसे कर्ज से निपटने और ग्रोथ बढ़ाने के लिए बैंकों को चाहिए 1 लाख करोड़ रुपए

मुंबई– देश के बैंकों को अगर बुरे फंसे कर्ज (NPA) से निपटना है और साथ ही ग्रोथ को बढ़ाना है तो 1 लाख करोड़ रुपए की जरूरत होगी। यह आंकड़ा बैंकों के कुल लोन का डेढ़ पर्सेंट है। यानी बैंकों ने कुल 104 लाख करोड़ रुपए का कर्ज दिया है। यह जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में दी है।  

बता दें कि दिसंबर के पहले पखवाड़े तक बैंकों का कुल लोन 104 लाख करोड़ रुपए था। जबकि उनके पास डिपॉजिट 145 लाख करोड़ रुपए की है। RBI ने कहा है कि कुल कर्ज की तुलना में कम से कम 1.5% अतिरिक्त रकम बैंकों को चाहिए। RBI के शुरुआती अनुमान में यह सुझाव दिया गया है कि संभावित रिकैपिटलाइजेशन की जरूरतों के साथ रेगुलेटरी की जरूरतों को पूरा करने और ग्रोथ के लिए एक लाख करोड़ रुपए की जरूरत है। इसके तहत बैंक कॉमन इक्विटी टियर-1 के अनुपात को भी बनाए रखेंगे।  

कॉमन टियर इक्विटी रेशियो दरअसल रिजर्व बैंक के कई पैमानों में से एक है जिसे बैंकों को बनाए रखना होता है। रिजर्व बैंक की ट्रेंड एंड प्रोग्रेस ऑफ बैंकिंग इन इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, बैंकों का ग्रॉस NPA मार्च 2019 में 9.1% था जो कि मार्च 2020 में घटकर 8.2% हो गया है। सितंबर 2020 में यह घट कर 7.5% हो गया है। हालांकि रिजर्व बैंक ने कहा कि बुरे फंसे लोन की संख्या अभी भी सामने आनी बाकी है। क्योंकि कोविड की वजह से नए खातों को NPA में डालना अभी संभव नहीं है।  

सुप्रीम कोर्ट ने नए खातों को एनपीए करने पर रोक लगा रखी है। यही कारण है कि नए खातों को डिफॉल्ट होने के बावजूद भी बैंक उन्हें NPA घोषित नहीं कर पा रहे हैं। माना जा रहा है कि सितंबर तिमाही की तुलना में बैंकों का NPA 66 बेसिस प्वाइंट बढ़ सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक देश मे 40 पर्सेंट कर्जदारों ने लोन मोरेटोरियम की सुविधा कोरोना के दौरान ली है। इसके तहत 6 महीने में रिपेमेंट करना था।  

रिजर्व बैंक के मुताबिक छोटे और सहकारी बैंकों के लोन मोरेटोरियम की संख्या ज्यादा है। इसमें भी फाइनेंस कंपनियों के पास ज्यादा लोन मोरेटोरियम की संख्या है। सरकारी बैंकों के कर्जदारों में से 41.3 पर्सेंट कर्जदारों ने मोरेटोरियम की सुविधा ली है। निजी बैंक और विदेशी बैंकों के कर्जों में यह अनुपात 34 और 20 पर्सेंट है। बता दें कि सरकारी बैंकों में 20 हजार करोड़ रुपए की अतिरिक्त रकम डालने की सरकार योजना बना रही है। हालांकि बैंकों की जरूरत इससे ज्यादा है।  

इसके उलट दूसरी ओर कुछ बड़े बैंकों ने पहले ही रकम जुटा ली है। साथ ही कुछ बड़े सरकारी बैंकों ने भी पूंजी जुटाई है। इसमें कैनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, आईसीआईसीआई बैंक आदि हैं।  

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