वीसी निवेश में आई 21 प्रतिशत की कमी, जनवरी से सितंबर के बीच 28.9 अरब डॉलर का हुआ निवेश

मुंबई- इस साल में देश की सबसे बड़ी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) द्वारा 11.7 अरब डॉलर की रकम जुटाए जाने के बावजूद वेंचर कैपिटलिस्ट (वीसी) के निवेश में कमी आई है। जनवरी से सितंबर के दौरान वीसी निवेश में 21 प्रतिशत की कमी आई है। इस दौरान 28.9 अरब डॉलर का निवेश वीसी ने किया है।  

अर्नेस्ट एंड यंग की ओर से एक रिपोर्ट जारी की गई है। इसके मुताबिक, अगर रिलायंस इंडस्ट्रीज की टेलीकॉम कंपनी जियो प्लेटफॉर्म और रिटेल कंपनी रिलायंस रिटेल में निवेश को छोड़ दें तो प्राइवेट इक्विटी (पीई) और वीसी का निवेश जनवरी से सितंबर 2020 के दौरान 53 पर्सेंट कम हुआ है। यह 17.2 अरब डॉलर रहा है। यह पिछले चार सालों का सबसे कम स्तर है। अर्नेस्ट एंड यंग (ईएंडवाई) का अनुमान है कि पीई और वीसी का निवेश 24 से 28 अरब डॉलर इस साल में रह सकता है। हालांकि इसमें आरआईएल की कंपनियों में किया गया निवेश शामिल नहीं है।  

डील के नजरिए से देखें तो जनवरी से सितंबर 2020 के दौरान कुल 686 डील हुई है। जबकि पिछले साल इसी अवधि में 764 डील हुई थी। पिछले साल जिन सेक्टर्स में निवेश किया गया था उसमें इंफ्रास्ट्रक्चर, रियल इस्टेट और फाइनेंशियल सेवाएं टॉप पर रही थीं। इस साल इन सेक्टर्स के निवेश में कमी आई है। इनकी जगह पर फार्मा, टेलीकॉम, डिजिटल टेक्नोलॉजी और एजुकेशन टेक्नोलॉजी में अच्छा निवेश किया गया है।  

रियल इस्टेट और इंफ्रा कंपनियों में पिछले साल कुल 16.1 अरब डॉलर का निवेश हुआ था। यह कुल निवेश का 44 पर्सेंट हिस्सा था। इस साल यह कम होकर 2.9 अरब डॉलर पर आ गया है। टेलीकॉम टॉप सेक्टर रहा है। इसमें कुल निवेश 10 गुना बढ़कर 10 अरब डॉलर हो गया है। कुल 13 डील हुई है। फाइनेंशियल सर्विसेस में 114 डील हुई है और 4.1 अरब डॉलर की रकम आई है। इसमें 32 पर्सेंट की कमी आई है। टेक्नोलॉजी में 106 डील के तहत 2.3 अरब डॉलर का निवेश हुआ है। इसमें 30 पर्सेंट की कमी आई है। फार्मा में 27 डील के जरिए 1.9 अरब डॉलर निवेश हुआ है। इसमें पांच गुना बढ़त हुई है।  

अर्नेस्ट एंड यंग की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च के मध्य से देश में कोरोना की शुरुआत तेज हुई थी। अब भारत विश्व में दूसरे नंबर पर कोरोना मरीजों के मामले में आ गया है। मार्च के अंत में देश में लॉकडाउन शुरू किया गया और इसी के बाद से अर्थव्यवस्था पर इसका असर दिखने लगा। अप्रैल-जून तिमाही में देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 23.9 पर्सेंट गिरा। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी में 9.5 पर्सेंट की गिरावट आ सकती है।  

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