फेल हो गया वेदांता का डिलिस्टिंग ऑफर, कंपनी ने दी जानकारी, कहा 134 करोड़ की बजाय 125 करोड़ शेयरों की ही मिली बिड
मुंबई– वेदांता लिमिटेड का डिलिस्टिंग ऑफर फेल हो गया है। इस ऑफर के मर्चेंट बैंकर्स ने इस तरह की जानकारी स्टॉक एक्सचेंज को दी है। स्टॉक एक्सचेंज को बताया गया है कि रविवार को इस संबंध में एक विज्ञापन जारी किया जाएगा, जिसमें फेल होने की सूचना निवेशकों को दी जाएगी।
स्टॉक एक्सचेंज को दी गई जानकारी में कहा गया है कि कंपनी को 125.47 करोड़ शेयरों के लिए बिड मिली थी। जबकि उसके डिलिस्ट होने के लिए 134 करोड़ शेयरों की जरूरत थी। ऐसे में कंपनी का यह ऑफर फेल हो गया है। कंपनी ने हालांकि इस संबंध में सेबी से एक दिन और मांगा था, पर सेबी ने उसे समय देने से मना कर दिया है। शुक्रवार को सेबी ने ऑफर के लिए समय बढ़ाया था और इसे सात बजे तक कर दिया था।
ऑफर के बाद कंपनी ने जो अनाउंसमेंट किया उसके मुताबिक उसे 125.47 करोड़ शेयरों के लिए बिड मिली है। यह बिड 5 अक्टूबर को खुली थी और शुक्रवार को बंद हुई। कंपनी को डिलिस्टिंग के लिए 134.12 करोड़ शेयर्स की जरूरत थी। इसके बाद प्रमोटर्स की होल्डिंग 90 प्रतिशत से ज्यादा हो जाती, जो सेबी के नियमों के मुताबिक जरूरी थी।
कंपनी ने कहा कि वह कोई भी शेयर पब्लिक की ओर से जो ऑफर किए गए थे, उसे नहीं ले रही है। इसलिए कंपनी अभी भी स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट रहेगी। शुक्रवार को 3 बजे तक ऐसी खबर आई थी कि कंपनी को 137 करोड़ शेयर मिले हैं। कुछ रिपोर्ट में इस तरह का दावा किया गया था। लेकिन बाद में यह खबर गलत निकली। कहा जा रहा है कि कुछ बिड के लिए कस्टोडियन के पास कंफर्मेशन लंबित था, जिसकी वजह से सही खबर नहीं मिल पाई थी।
शुक्रवार को 7.35 बजे तक 125.47 करोड़ शेयरों की ही बिड मिली थी। यानी कंपनी को 9 करोड़ शेयरों की कमी थी। इसी के बाद मर्चेंट बैंकर्स ने सेबी से एक दिन का समय और मांगा था, लेकिन सेबी ने इस अपील को खारिज कर दिया।
कंपनी के कुल फुली पेड अप शेयरों की संख्या 356.10 करोड़ है। इसमें से 90 प्रतिशत का मतलब 320.49 करोड़ शेयर हुए। इसमें से प्रमोटर्स के पास 186.36 करोड़ शेयर हैं। पब्लिक के पास 169.73 करोड़ शेयर हैं। कुल बिड 125.47 करोड़ शेयर्स के लिए मिली। इस तरह से पिछले 6 महीनों से डिलिस्ट करने की कोशिश में अनिल अग्रवाल फेल हो गए। दरअसल कंपनी ने 87.25 रुपए पर डिलिस्ट का ऑफर दिया था। जिस समय यह ऑफर दिया गया था उस समय शेयर की कीमत 140 रुपए थी। जबकि आज भी यह शेयर 120 रुपए पर है। ऐसे में रिटेल निवेशकों के साथ-साथ इंस्टीट्यूशनल निवेशकों को भी इस डिलिस्टिंग में भारी घाटा हो रहा था।
शुक्रवार को जो बिड मिली उसमें सबसे कम बिड 125 रुपए पर मिली थी। जबकि सबसे ज्यादा बिड 320 रुपए पर मिली थी। डिलिस्टिंग में सबसे बड़ा अड़ंगा एलआईसी ने लगाया। एलआईसी ने 320 रुपए प्रति शेयर के भाव पर बिड किया था। उसके पास 6 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सेदारी वेदांता की है। एलआईसी के साथ ही कुछ और संस्थागत निवेशकों ने भी 155 से 175 रुपए पर बिड किया। इस तरह से वेदांता को जो भाव मिला वह आज के शेयर के भाव से भी ज्यादा मिला। जबकि 87.25 रुपए का जो ऑफर भाव था, उसकी तुलना में करीबन दोगुना भाव पर कंपनी को बिड मिली है।
कंपनी ने पहले 11,690 करोड़ रुपए इस डिलिस्टिंग पर खर्च करने की योजना बनाई थी जो 87.25 रुपए प्रति शेयर के भाव से था। लेकिन जिस तरह से निवेशकों ने बिड किया उस आधार पर कंपनी को 25 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च करना पड़ता। इसलिए कंपनी ने तो इसे छोड़ ही दिया था, लेकिन साथ ही निवेशकों की ओर से जो बिड मिली, उसमें भी 9 करोड़ शेयरों की कम बिड मिली। इस तरह से दोनों मामलों में यह डिलिस्टिंग फेल हो गई।

