अब फ्लाइट में लापरवाही बहुत महंगी पड़ेगी, एयरलाइंस कंपनियों को देना होगा एक करोड़ रुपए का जुर्माना
मुंबई- अब हवाई उड़ान के दौरान लापरवाही बरतने वाली एयरलाइंस कंपनियों को एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। यह अभी तक केवल 10 लाख रुपए था। यह जुर्माना सभी क्षेत्रों की एयरलाइंस कंपनियों पर लागू होगा। इस संबंध में मंगलवार को एयरक्राफ्ट संशोधन बिल 2020 को संसद में पास किया गया। यह बिल साल 1934 के कानून की जगह लेगा।
एयरक्राफ्ट संशोधन बिल पास होने पर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि इससे सिविल एविएशन सेक्टर की तीनों रेगुलेटरी बॉडी डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए), ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (बीसीएएस) और एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (एएआईबी) को और ज्यादा प्रभावी बनाया जा सकेगा। इस कानून के लागू हो जाने के बाद फ्लाइट में लापरवाही बहुत महंगी पड़ सकती है।
एयरक्राफ्ट संशोधन बिल राज्यसभा से भी पास हो गया है। लोकसभा ने इसे मार्च, 2020 में ही पास कर दिया था। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब यह कानून बन जाएगा। इस बिल में यात्रियों की सुरक्षा से खिलवाड़ करने पर भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
दूसरी ओर सिविल एविएशन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को राज्यसभा में बताया कि सरकारी एयरलाइंस कंपनी एअर इंडिया के ऊपर कर्ज को देखते हुए सरकार के पास केवल दो विकल्प बचे हैं। या तो केंद्र सरकार इसका प्राइवेटाइजेशन करेगी या फिर इसे बंद कर देगी। उन्होंने कहा कि एयर इंडिया पर इतना अधिक कर्ज है कि सरकार एयर इंडिया की कोई मदद नहीं कर सकती है। अगर इसका निजीकरण नहीं हो पाता है तो सरकार को मजबूरन एयर इंडिया को बंद करना होगा।
हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि एअर इंडिया पर 60,000 करोड़ रुपए का कर्ज है। ऐसे में एअर इंडिया के प्राइवेटाइजेशन से इसे नया मालिक मिलेगा और यह चालू रह सकती है। हरदीप सिंह पुरी ने राज्यसभा को यह भी बताया कि कुल एयर ट्रैफिक में दिल्ली और मुंबई एयरपोर्ट की हिस्सेदारी 33 प्रतिशत है। जबकि, अडाणी ग्रुप को जो 6 एयरपोर्ट दिए गए हैं, उन पर कुल ट्रैफिक केवल 9 प्रतिशत है।
बता दें कि सरकार काफी लंबे समय से एअर इंडिया के निजीकरण की योजना बना रही है। कई बार इसकी तारीखें भी बढ़ाई गई हैं। लेकिन अभी तक इसके निजीकरण पर कोई फैसला नहीं हो पाया है। कंपनी के ऊपर ढेर सारे कर्ज के अलावा यह लगातार घाटे में चल रही है। ऐसे में इस कंपनी को चलाना अब सरकार के लिए संभव नहीं है।