इस मानसून में रोगों के खिलाफ फाइनेंशियल इम्युनिटी को बढ़ाएं
हर साल हम मॉनसून का बेसब्री से इंतजार इसलिए करते हैं कि इससे भीषण गर्मी से राहत मिलती है। पर इस साल का मॉनसून बिल्कुल अलग किस्म का रहा है। कोरोना जैसी महामारी को फैलने के लिए मानसून में ह्यूमिडिटी फैक्टर को थोड़ा सहायक माना जा रहा है।
सिर्फ कोरोना ही नहीं, मानसून के दिनों में कई अन्य तरह की बीमारियां जैसे कि मलेरिया, डेंगू, लेप्टो, टाइफॉयड, पीलिया आदि भी मुंह बाए खड़े रहते हैं जिससे लोगों में संक्रमण का खतरा अधिक हो जाता है।
डॉक्टर की सलाह होती है कि लोग अपने स्वास्थ्य का ठीक से ख्याल करें और व्यायाम करने के साथ ही साथ अपने अंदर प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ और विटामिन का सेवन करते रहें ताकि ऐसी बीमारियां हमें घेर ही न पाएं। खुदा न खास्ता भविष्य में होने वाली ऐसी किसी भी अनहोनी से निपटने के लिए अपने आपको आर्थिक रूप से एक सुरक्षा चक्र के दायरे में कर लें।
किसी भी सूरत में एक स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी हमारी बजट योजनाओं का एक हिस्सा होना ही चाहिए। एक स्वास्थ्य बीमा किसी के अस्पताल में भर्ती होने से लेकर इलाज के खर्चों का ख्याल रखकर हेल्थ इमरजेंसी के दौरान उसका भुगतान करता है। बीमा चुनने के लिए कई विकल्प मौजूद हैं, जिन्हें मोटे तौर पर नीचे दो श्रेणियों के तहत वर्गीकृत किया जा सकता है:
व्यक्तिगत और परिवार के लिए सम्पूर्ण सुरक्षा
किसी भी इंफेक्शन क्लेम के मामले में, अस्पताल में भर्ती होने से पहले और डिस्चार्ज होने के बाद भी जांच, परामर्श, दवाएं आदि जैसे कई खर्च होते हैं। इन सभी खर्चों सहित इंफेक्शन के कारण अस्पताल में भर्ती होने का औसत खर्च 40,000 से 50,000 रुपए आ जाता है। वर्तमान महामारी की स्थिति में, हमने नोट किया है कि अस्पताल में भर्ती होने वाले खर्च इसलिए बढ़ जाते हैं कि अब अधिक स्वच्छता और ज्यादा जांच (investigation) होते हैं।
किसी भी बीमा कवर के बिना ऐसा कोई भी अतिरिक्त खर्च आर्थिक रूप से आपको मुश्किल स्थिति में ला देगा। जबकि बुनियादी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियां, बीमित को अस्पताल में भर्ती होने से पहले और बाद के सभी खर्चों का ध्यान रखती हैं। ऐसी कई पॉलिसी हैं जो उपलब्ध हैं और इसका चुनाव हमें हमेशा यह ध्यान में रखकर करना होता है कि कौन सी पॉलिसी हमारी शारीरिक और आर्थिक आवश्यकताओं के मद्देनजर फिट बैठती है।
उदाहरण के लिए एक टियर वन और टियर टू शहर में रहने वाले लोगों को, मेट्रो के मुकाबले कम उपचार खर्च उठाना पड़ता है। इसलिए, किसी पॉलिसी की बीमित राशि (sum insured) जो इसकी कवरेज लिमिट दर्शाती है, को अनुमानित इमरजेंसी खर्च से थोड़ा अधिक चुना जाना चाहिए। एक मिडल क्लास के भारतीय परिवार के सभी सदस्यों के लिए कुल कवरेज 5 से 10 लाख रुपये के बीच कहीं भी हो सकता है।
रोग/इंफेक्शन विशेष कवर
हमारे आंतरिक आंकड़ों के ट्रेंड से हमने पिछले वर्ष मानसून से संबंधित बीमारियों में 82.3% की वृद्धि देखी थी। इसके अलावा, वायरल बुखार बढ़ रहे हैं और इनमें पिछले 2-3 वर्षों में कई गुना वृद्धि हुई है, जबकि डेंगू के लिए क्लेम में लगभग दोगुना की वृद्धि देखी गई है।
ये चौंका देने वाले आंकड़े हैं और स्वास्थ्य बीमा सुरक्षा के अभाव का मतलब है कि ये सभी खर्च सीधे मरीज द्वारा उनकी बचत के माध्यम से या मदद के लिए दोस्तों या परिवार पर भरोसा करके खर्च किए जाते हैं। बीमा कंपनियाँ आज रोग आधारित विशेष कवर दे रही हैं जिससे अगर भविष्य में बीमित व्यक्ति को कुछ हो जाता है तो सारा खर्चा यही कंपनियां वहन करती हैं और बीमित व्यक्ति किसी आर्थिक संकट में फंसने से बच जाता है।
कहने का तात्पर्य यह है कि एक बार नाममात्र प्रीमियम का भुगतान कर देने के बाद, कंपनियां बीमाकर्ता को कवरेज का भुगतान करती हैं जिसे उसने चुना है। बाजार में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, कालाजार, जापानी इंसेफेलाइटिस, फाइलेरिया और जीका जैसी तमाम वेक्टर जनित बीमारियों के लिए ऐसी बीमा पॉलिसियां उपलब्ध हैं। कोरोना महामारी को देखते हुए, कई बीमाकर्ता इस तरह के कोविड कवच के रूप में सस्ती कोरोना कवच जैसे कवर के साथ आए हैं।
वर्तमान समय में जब हमारे सिर पर स्वास्थ्य संकट मंडरा रहा है, तो ऐसे में हमें न केवल हमारी स्वच्छता बल्कि हमारे वित्तीय सुरक्षा जाल को भी सुरक्षित करने के मामले में सक्रिय रहना चाहिए। एक हेल्थ इंश्योरेंस हमें अस्पताल में भर्ती और संबंधित खर्चों के मामले में वित्तीय आपातकाल से बचाता है और हमें एक गरिमामयी जीवन सुनिश्चित करता है। और इसलिए हमें इसमें निवेश अवश्य करना चाहिए। एक इंश्योरेंस पॉलिसी हमारे लिए मास्क का काम करती है क्योंकि इससे पूरी तरह से आर्थिक प्रोटेक्शन मिलता है जिससे समाज में सर उठाकर जीते रहने का मार्ग प्रशस्त होता है। इसलिए कहा जाता है कि बीमा कराइये और सुरक्षित रहिये।