आपने लोन लिया है तो रिकवरी एजेंट आपके फोन को कर रहे हैं हैक

मुंबई- आजकल कर्ज लेकर जिंदगी जीना आम बात है। हर कोई किसी न किसी काम के लिए कर्ज लेता है। खासकर कोरोना संकट में जिन लोगों ने लोन ले रखा है अब उनके सामने एक नई मुसीबत पैदा हो गई है। वह यह कि कई ठगों और रिकवरी एजेंटों ने कर्ज लेने वालों को डराना धमकाना शुरू कर दिया है, ताकि वे समय पर कर्ज दे सकें। इसके लिए वे अनैतिक उपायों का सहारा ले रहे हैं।

हाल के दिनों में ऐसे कई उदाहरण आए हैं जब देखा गया कि इन ठगों ने कर्ज लेनेवालों को पहले एक ऐप लांच करने को कहा और बाद में डिफॉल्ट की स्थिति में उनके फोन को हैक कर लिया। इसके बाद उन्हें तरह-तरह की धमकियां देना शुरू कर दिया है। इसमें उनके फोटो को आम जनता के बीच सर्कुलेट कर उन्हें शर्मसार किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त यह भी देखा गया है की लोन कंपनियां अपने उधार कर्ताओं के फोन बुक डाटा का एक्सेस कर उन्हें लोन की शर्तों को पूरा करने का लालच दे रही हैं।

रिकवरी एजेंट डिफाल्टरों को न सिर्फ गाली दे रहे हैं, बल्कि उनके परिवार वालों को भी धमकियां देने लगे हैं। ऐसे में कई पीड़ित उधार कर्ताओं ने पुलिस की मदद ली परंतु वे कोई एफआईआर रजिस्टर नहीं करवा सके। जबकि बहुत सारे पीड़ितों ने तो पुलिस का दरवाजा भी नहीं खटखटाया क्योंकि उन्हें डरता है कि उनका फोन भी जब्त कर लिया जाएगा।

एक प्रोफेशनल ने बताया कि उन्होंने मार्च में क्रेडिट के जरिए 25000 रुपए का लोन लिया था। इसे अप्रैल में उन्हें चुकाना था। परंतु जब लॉक डाउन के कारण वह इस लोन का रीपेमेंट नहीं कर पाए तो न सिर्फ उन्हें बल्कि उनके रिश्तेदारों, दोस्तों, सहयोगियों यहां तक कि उनकी पत्नी और माता को भी रिकवरी एजेंटों ने कॉल कर धमकाया और उनसे बदतमीजी से बात की।

30 साल के इस प्रोफेशनल ने कहा कि उसने मेडिकल इमरजेंसी के लिए लोन लिया था। मैंने रिकवरी एजेंट से बोला कि लॉकडाउन के कारण मैं फिलहाल लोन नहीं भर पाऊंगा पर मैं जल्द से जल्द दे दूंगा। पर उसने मेरे फोन की कांटेक्ट लिस्ट से कम से कम 60 लोगों को फोन कर मुझे जलील करना शुरू किया।

इस प्रोफेशनल के मुताबिक, मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि उन्हें हमारे दोस्तों रिश्तेदारों या अन्य के नंबर कैसे मिले। यहां तक कि इन रिकवरी एजेंटों ने मुझे और शर्मिंदा करने के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाने और उस पर मुझे बदनाम करने की धमकी दी। उनके मुताबिक जब मैं लोन चुकता करने के टर्म्स पर बात करने लगा तो कई सारे फाइन मिलाकर मुझसे 48,000 रुपए मांगे गए।

कुछ ऐसी ही मिलती-जुलती स्थिति एक दूसरे कर्जदार की है। इसके मुताबिक कैशबीन से इन्होंने 13,900 का और मनी मोर से 4500 रुपए का लोन अपनी मां के लिए दवाइयां खरीदने के लिए लिया था। वह समय पर लोन नहीं चुका पाईं। फिर उसके बाद रिकवरी एजेंटों ने चेतना को धमकाना और गाली देना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि मनी मोर ने मुझे मेरे फोन बुक में सेव किए गए लोगों की एक लिस्ट भेज दी और धमकी देकर कहा कि अगर मैंने तुरंत लोन चुकता नहीं किया तो वह इन सभी लोगों को कॉल कर मुझे शर्मसार करने की पूरी कोशिश करेंगे।

ऐसे कई लोग हैं जो लोन तो लिए पर बाद में परेशान हो गए हैं। एक दूसरे जरूरतमंद ने गेटरूपी नाम के फर्म से 5,000 रुपए का लोन लिया और लॉक डाउन लगने के बाद उनकी नौकरी चली गई। उन्होंने कहा थोड़े ही दिनों बाद मेरे पिताजी और मेरे चचेरे भाइयों का कॉल आने शुरू हो गए और मुझे भी धमकी दी जाने लगी कि जल्दी से जल्दी मैं लोन अदा कर दूं। अब रिकवरी एजेंट्स उन्हें रोज धमकियां दे रहे हैं कि अगर जल्दी से जल्दी लोन का भुगतान नहीं किया गया तो उनके फोटो सभी जगह सर्कुलेट कर दिए जाएंगे।

एक कारोबारी के मुताबिक उन्हें कोरोना पॉजिटिव की रिपोर्ट आने के बावजूद भी नहीं बख्शा गया और उनसे लोन की मांग तुरंत की गई। इसी दौरान उन्हें रिकवरी एजेंट्स का कॉल आया। रिकवरी एजेंट ने कहा कि पहले लोन दो फिर अस्पताल जाओ।

ऐप से चुराते हैं जानकारियाँ

साइबर क्राइम कंसलटेंट के मुताबिक, आजकल सभी लोग आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं, इसलिए अब लोन कंपनियां अपनी बकाया वसूल करने के लिए एक से बढ़कर एक हथकंडे अपनाने लगी हैं। वे लोन लेने से ही पहले उधार कर्ताओं को उनके द्वारा डिवेलप किए गए ऐप को डाउनलोड करने को कहते हैं। यह ऐप फोन बुक का एक्सेस अवश्य मांगते हैं और जैसे ही आप लोन डिफॉल्ट करते हैं आपका सारा फोन बुक का नंबर रिकवरी एजेंटों के पास पहुंचा दिया जाता है और वे फिर एक-एक करके कॉल करना शुरू कर देते हैं।

कई ऐसे केस में तो देखा गया की रिकवरी एजेंटों ने उधारकर्ता को उनके मोबाइल में स्टोर किए गए सारे नंबर भी भेज दिया और धमकी दी कि अगर वह लोन सही समय पर नहीं अदा करते हैं तो उनके सभी दोस्तों के सर्किल में उन्हें बेइज्जत कर दिया जाएगा। एप्लीकेशन फॉर्म भरते ही ही उधारकर्ताओं से फोन बुक का एक्सेस मांग लिया जाता है।

दरअसल अवैध तरीकों से डाटा चुराने और फिर उनका ट्रेड करने का चलन पिछले 10 सालों से हो रहा है। यह भी हो सकता है कि बहुत सारी ऐसी कंपनियों का कुछ चाइनीज कंपनियों से जुड़ाव हो जो ऐसा डाटा शेयर करने के लिए खास तौर पर जानी जाती हैं। उन्होंने सुझाव दिया की ऐसी स्थितियों में उधार कर्ताओं को पुलिस का सहारा लेना चाहिए। हालांकि ऐसे मामलों में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गाइडलाइन पुलिस का सहारा लेने को कहती है। इस तरह की वसूली में साइबर क्राइम का भी इस्तेमाल किया जाता है, अतः इसमें आईटी एक्ट 2000 की धाराएं भी लगाई जा सकती हैं जिससे किसी की गोपनीयता भंग होती है।

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