अमेरिकी टैरिफ का असर, 58 कंपनियों ने आईपीओ लाने की योजना टाली
मुंबई- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के टैरिफ के कारण वैश्विक बाजार में मचे उथल-पुथल के कारण देश की 58 कंपनियों ने प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम यानी आईपीओ लाने की योजना टाल दी है। इन सभी को पूंजी बाजार नियामक सेबी की मंजूरी मिल चुकी है। अगर अगले कुछ महीनों में यह कंपनियां बाजार में नहीं आती हैं तो मंजूरी खत्म हो जाएगी और नए सिरे से इनको आवेदन करना होगा।
तीन बड़े आईपीओ अवांस फाइनेंशियल, एंथम बायोसाइंसेज और एलजी ने योजना टाल दी है। अवांस को अक्तूबर, 2024 में, एंथम बायोसाइंसेज को 3 अप्रैल और एलजी को इस साल मार्च में मंजूरी मिली थी। एलजी 15,000 करोड़ रुपये जुटाना चाहती है। अवांस 3,061 करोड़ और 3,404 करोड़ जुटाना चाहती है। दक्षिण कोरियाई कंपनी एलजी के मुख्य वित्तीय अधिकारी किम चांग ताए के अनुसार, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया का इश्यू तभी आएगा, जब बाजार की स्थितियां सही मूल्यांकन और तालमेल सुनिश्चित करेंगी। शुरू में आईपीओ मई में आने की उम्मीद थी, लेकिन अब कंपनी अगस्त के बाद लाने की योजना बना रही है।
विश्लेषकों के मुताबिक, वैश्विक अनिश्चितता को देखते हुए इस समय केवल चुनिंदा संस्थागत निवेशक ही निवेश को तैयार हैं। यह रुझान इस बात का संकेत है कि वैश्विक व्यापार युद्ध और देशों के बीच तनावों ने आर्थिक दृष्टिकोण को धुंधला कर दिया है। इस कारण कंपनियां पूंजी जुटाने और निवेश में देरी कर रही हैं। दो अप्रैल से निफ्टी-50 में 4.8% की तेजी आई है। हालांकि, सितंबर के अंत में रिकॉर्ड ऊंचाई से अभी भी 7% नीचे है।
करीब 3,000 करोड़ रुपये का आईपीओ लाने वाली एथर एनर्जी की खराब शुरूआत रही। मंगलवार को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर इसका शेयर 302 रुपये पर बंद हुआ। यह इश्यू भाव 321 रुपये की तुलना में 5.76फीसदी कम है। दिन में यह 332 रुपये तक गया था। कंपनी ने इश्यू का आकार 44 फीसदी घटा दिया था।
प्राइम डेटाबेस के अनुसार, भारत पिछले साल दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आईपीओ बाजार था। इस साल अब तक स्टॉक एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध आईपीओ में 58 प्रतिशत की गिरावट आई है। ऑनलाइन ऑटोमोबाइल मार्केटप्लेस ड्रूम के सीईओ संदीप अग्रवाल ने कहा,उनकी कंपनी ने जून तक आईपीओ का मसौदा दाखिल नहीं करने का फैसला किया है। बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण भारी नुकसान झेलने के बाद खुदरा निवेशक नए निवेश के प्रति सतर्क हैं। इससे आईपीओ को इस साल कम रिस्पांस मिल सकता है।