जून तिमाही में बड़े लोन की मांग में भारी गिरावट, छोटे लोन के जरिए बैंक चला रहे हैं कारोबार

मुंबई- जून तिमाही में बैंकों के लिए बड़े कर्ज की मांग में भारी गिरावट आई है। पता चला है कि बड़े कर्ज में 67 प्रतिशत की गिरावट आई है। हालांकि बैंकों के पास इस दौरान अच्छी खासी लिक्वि़डिटी या डिपॉजिट है। पर लोन की मांग न होने से यह पैसे बैंकों के पास पड़े हैं।

जानकारी के मुताबिक जून तिमाही में केवल 423 बड़े कर्ज मंजूर किए गए हैं। यह एक साल पहले इसी अवधि में 1,285 था। यानी इसमें 67 प्रतिशत की गिरावट दिखी है। इसमें से 79 कर्ज ऐसे रहे हैं जो 500 करोड़ रुपए के रहे हैं। जबकि बाकी कर्ज उससे नीचे के हैं। एक साल पहले इसी अवधि में 500 करोड़ के कर्ज की संख्या 200 थी। बड़े कर्ज का मतलब उस कर्ज से होता है, जो 50 करोड़ रुपए से ज्यादा के होते हैं।

आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक,3 जुलाई को समाप्त पखवाड़े में बैंक की क्रेडिट ग्रोथ 6.13 प्रतिशत रही है। डिपॉजिट में 11.04 प्रतिशत की वृद्धि रही है। यानी कुल बैंक लोन 96.97 लाख करोड़ रुपए इस दौरान रहा है। डिपॉजिट 126.75 लाख करोड़ रुपए रही है। 21 जून को समाप्त पखवाड़े में बैंक की क्रेडिट 96.48 लाख करोड़ रुपए रही है। जबकि डिपॉजिट इसी दौरान 124.92 लाख करोड़ रुपए रही है। क्रेडिट ग्रोथ 6.18 प्रतिशत बढ़ी जबकि डिपॉजिट 11 प्रतिशत बढ़ी।

कुछ बैंकों की जून तिमाही के रिजल्ट की बात करें तो पता चलता है कि एचडीएफसी बैंक की लोन ग्रोथ एकदम धीमी रही है। यह मार्च से जून के बीच महज एक प्रतिशत बढ़कर 10.04 लाख करोड़ रुपए रही है। डिपॉजिट 3 प्रतिशत बढ़ी है। जून 2019 में बैंक की लोन ग्रोथ 21 प्रतिशत थी। इसी तरह इंडसइंड बैंक की लोन बुक 3 प्रतिशत कम हो गई है। यह 20 जून को 2 लाख करोड़ रुपए रही है। मार्च तिमाही में यह 2.06 लाख करोड़ रुपए थी। कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट कहती है कि लोन ग्रोथ यानी कर्ज की वृद्धि लगातार आगे कम रह सकती है। क्योंकि बैंक ज्यादातर अच्छी रेटिंग वाली कंपनियों पर फोकस कर रहे हैं।

बंधन बैंक के कर्ज की वृद्धि में 3 प्रतिशत की तेजी रही है। यह 74,325 करोड़ रुपए 30 जून तक रहा है। फेडरल बैंक की बात करें तो इसकी उधारी 0.86 प्रतिशत कम रही है। एनबीएफसी भी इसी तरह का प्रदर्शन कर रही हैं। बजाज फाइनेंस ने बताया कि उसके लोन में 77 प्रतिशत की कमी आई है। बता दें कि बैंक मूलरूप से रिटेल लोन पर ज्यादा फोकस करते हैं। क्योंकि यह कर्ज एक तो छोटे होते हैं और दूसरे इनमें एनपीए कम होता है।

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