शिक्षा और शादी के लिए पर्सनल लोन जोरों पर, मेडिकल आपातकाल के लिए लिया ज्यादा लोन
मुंबई– मेडिकल इमरजेंसी, बच्चों की शिक्षा, शादी के खर्च पर्सनल लोन लेने के लिए बड़े कारणों में शामिल हैं। एक सर्वे के मुताबिक 28 पर्सेंट पर्सनल लोन मेडिकल इमरजेंसी के लिए लिये जाते हैं, जबकि 25 फीसदी घरों की जरूरतों जैसे बच्चों की पढ़ाई, घर का रेनोवेशन और शादी के खर्च के लिए होते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर लोग ठीक-ठाक सैलरी कमाते हैं, जिससे केवल उनका रोजाना का खर्च पूरा होता है और अचानक होने वाले खर्च के लिए कोई अतिरिक्त साधन नहीं होते हैं। 77 फीसदी लोग इसके लिए असुरक्षित पर्सनल लोन का इस्तेमाल करते हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 41 फीसदी लोगों ने कर्जदाता को चुनने के लिए ब्याज दर को मुख्य मापदंड बताया, जबकि 30 फीसदी ने लोन की अवधि और 20 फीसदी ने राशि मिलने के समय को बताया है।
87 फीसदी लोग अपने फाइनेंस को खुद संभालते हैं, जिसमें टैक्स रिटर्न फाइलिंग और ईएमआई को ट्रैक करना शामिल है। 55 फीसदी लोग वित्तीय जानकारी के लिए परिवार और दोस्तों पर निर्भर करते हैं। और 25 फीसदी लोग जानकारी के लिए सोशल मीडिया पर निर्भर रहते हैं। केवल 5 फीसदी लोग वित्तीय मदद के लिए चार्टेड अकाउंटेंट से संपर्क करते हैं।
ज्यादातर लोगों के पास पारंपरिक तरीकों जैसे सेविंग्स अकाउंट, कैश, फिक्स्ड डिपॉजिट और सोने के अलावा कोई बचत मौजूद नहीं है। 40 फीसदी लोग सोने को निवेश के जरिए के तौर पर प्राथमिकता देते हैं। केवल 12 फीसदी लोगों के पास इक्विटी इन्वेस्टमेंट का कुछ रूप था जैसे म्यूचुअल फंड्स या स्टॉक।
60 फीसदी लोगों की मासिक आय उनके परिवार की ओर जाती है, 20 फीसदी किराये में, 8 फीसदी रोजाना के सफर और 12 फीसदी बचत के तौर पर अलग रख दी जाती है, जिससे रिटायरमेंट या लंबी अवधि के वित्तीय जरियों में निवेश के लिए बहुत थोड़ा बचता है। 80 फीसदी लोग ट्रांजैक्शन के लिए नेट बैंकिंग को प्राथमिकता देते हैं, 66 फीसदी पैसे भेजने या प्राप्त करने के लिए यूपीआई का इस्तेमाल करने को पसंद करते हैं। केवल 7 फीसदी लोग अभी भी कैश या चेक का इस्तेमाल करते हुए पाए गए।