सुप्रीम कोर्ट ने टाटा के पक्ष में दिया फैसला, मिस्त्री हारे

मुंबई– सुप्रीम कोर्ट ने टाटा ग्रुप की कंपनी टाटा संस लिमिटेड और शापूरजी पलोनजी ग्रुप के सायरस मिस्त्री के मामले पर आज अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने NCLAT के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि मिस्त्री को टाटा संस को चेयरमैन पद से हटाना कानूनी तौर पर सही। कोर्ट ने यह भी कहा कि शेयरों का मामला टाटा और SP ग्रुप दोनों मिलकर निपटाएं।  

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा ने एक सोशल मीडिया पोस्ट किया है। इसमें उन्होंने फैसले का स्वागत करते हुए कोर्ट का धन्यवाद किया और कहा कि यह कोई जीत या हार का मामला नहीं। पोस्ट में उन्होंने लिखा यह मेरी ईमानदारी और ग्रुप के नैतिक आचरण पर लगातार हमलों के बाद, कोर्ट द्वारा टाटा संस की सभी अपीलों को बरकरार रखने का निर्णय उन मूल्यों और नैतिकता का सत्यापन है, जो हमेशा ग्रुप के मार्गदर्शक सिद्धांत रहे हैं। यह हमारी न्यायपालिका द्वारा प्रदर्शित निष्पक्षता और न्याय को दर्शाता है। 

कोर्ट ने 17 दिसंबर को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा था। दरअसल, टाटा संस ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के 18 दिसंबर, 2019 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें टाटा संस लिमिटेड के चेयरमैन के रूप में सायरस मिस्त्री की बहाली का आदेश दिया था। इस पर 10 जनवरी 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी। मिस्त्री टाटा सन्स के सबसे युवा चेयरमैन थे। मिस्त्री परिवार की टाटा सन्स में 18.4% की हिस्सेदारी है। वो टाटा ट्रस्ट के बाद टाटा संस में दूसरे बड़े शेयर होल्डर्स भी हैं। 

NCLAT ने अपने दिसंबर 2019 के फैसले में कहा था कि 24 अक्टूबर 2016 को टाटा संस की बोर्ड बैठक में चेयरपर्सन के पद से साइयस मिस्त्री को हटाना गैर-कानूनी था। साथ ही यह भी निर्देश दिया था कि रतन टाटा को पहले से कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए, जिसमें टाटा संस के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के बहुमत के फैसले या AGM में बहुमत की आवश्यकता होती है। 

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