रिटेल लोन बनेंगे बोझ, एनपीए में होगी चार गुना की बढ़ोत्तरी
मुंबई– रिटेल लोन सेगमेंट में अगले वित्त वर्ष के अंत तक संकट में फंसे कर्ज में चार गुना की बढ़ोतरी होगी। सर्विस सेक्टर में कम नौकरी पैदा होने और इनकम ग्रोथ धीमी रहने के कारण ऐसा होगा। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने अपने अनुमान में यह बात कही है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि रिटेल लोन सेगमेंट में मार्च 2022 तक नॉन परफॉर्मिंग असेट्स (NPA) 4.7% तक पहुंच जाएगा। एजेंसी के मुताबिक, मार्च 2021 तक यह 1.60% रहेगा। इस प्रकार अगले साल इसमें चार गुना तक की बढ़ोतरी हो सकती है। प्राइवेट सेक्टर के बैंकों के अनसिक्योर्ड लोन बढ़ने के कारण इस सेगमेंट के NPA में बढ़ोतरी होगी।
इंडिया रेटिंग्स ने अनुमान जताया है कि चालू वित्त वर्ष यानी 2021 में बैंकों का ग्रॉस NPA 8.8% रह सकता है। हालांकि, अगले वित्त वर्ष यानी 2022 में यह बढ़कर 10.1% तक पहुंच सकता है। जबकि संकटग्रस्त असेट्स जिसमें ग्रॉस NPA और रीस्ट्रक्चर्ड लोन शामिल हैं, बढ़कर 10.9% तक पहुंच सकता हैं। एजेंसी के मुताबिक, 2021 में प्रोविजनिंग कॉस्ट घटकर 2.1% पर आ सकती है। पहले एजेंसी ने इसको 2.3% रहने का अनुमान जताया था। वित्त वर्ष 2022 में प्रोविजनिंग कॉस्ट 1.5% रह सकती है।
इंडिया रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2022 के लिए बैंकों के आउटलुक को अपग्रेड किया है। अब एजेंसी ने बैंकों के आउटलुक को नेगेटिव से स्थिर कर दिया है। कोविड-19 से जुड़ा संकट कम होने के कारण एजेंसी ने आउटलुक को अपग्रेड किया है। इसमें लिक्विडिटी सपोर्ट और MSME को एमर्जेंसी क्रेडिट सपोर्ट ने अहम भूमिका निभाई है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि कैपिटल जुटाने और प्रोविजन में बढ़ोतरी के कारण बैंक अपनी वित्तीय स्थिति मजबूत कर लेंगे। एजेंसी ने वित्त वर्ष 2021 में क्रेडिट ग्रोथ 6.9% रहने का अनुमान जताया है। पहले एजेंसी ने क्रेडिट ग्रोथ 1.8% रहने की बात कही थी। एजेंसी का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2022 में क्रेडिट ग्रोथ बढ़कर 8.9% पर पहुंच सकता है। अक्टूबर 2020 से मार्च 2021 के दौरान आर्थिक गतिविधियों में सुधार रहने और इंफ्रास्ट्रक्चर खर्च पर सरकार का विशेष फोकस रहने के कारण अगले साल क्रेडिट ग्रोथ में वृद्धि रहेगी।